वैज्ञानिकों ने बेन्नू (Bennu) नाम के एस्टरॉयड में ऐसे अणुओं का पता लगाया है, जो जीवन के लिए जरूरी होते हैं। यह स्टडी नेचर जर्नल में पब्लिश हुई है, जो संकेत देती है कि जिस रसायन ने बेन्नू एस्टरॉयड का निर्माण किया, वह आज बृहस्पति और शनि के बर्फीले चंद्रमाओं पर हो सकता है।
Bennu Asteroid : अमेरिका के ह्यूस्टन में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर के एक खास कमरे में बेन्नू एस्टरॉयड के सैंपल की जांच कर रहे वैज्ञानिकों को बड़ी जानकारी मिली है।
नासा ने कहा है कि यह स्पेसक्राफ्ट 7 साल की यात्रा करके लौटा है। OSIRIS-REx नासा और यूनिवर्सिटी ऑफ एरिजोना का साझा मिशन है जो कि दुनिया का तीसरा एस्टरॉयड सैम्पल लेकर आया है।
नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) इसे ऑब्जर्व कर रही है। यह एस्टरॉयड हर 1.2 साल में सूर्य की परिक्रमा करता है और लगभग हर 6 साल में पृथ्वी के करीब पहुंचता है।
नासा के OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट से ली गई तस्वीरों का विश्लेषण करने के बाद जाना है कि सूर्य की गर्मी से 10,000 से 100,000 साल में बेन्नू की चट्टानों पर फ्रैक्चर्स होते हैं।