101955 Bennu नाम के एस्ट्रॉयड को 1999 में खोजा गया था। इस एस्ट्रॉयड की सतह ने वैज्ञानिकों को चौंका दिया है। नासा के वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी सतह ऐसी है जैसा बच्चों के खेलने का एरिया होता है, जिसके ऊपर यदि चला जाए तो घर्षण बहुत कम महसूस होगा।
नासा ने एस्ट्रॉयड की सतह के बारे में कहा है कि इसके कण आपस में बहुत ही ढीले तरीके से जुड़े हुए हैं। इसकी सतह पर चलना ऐसे है जैसे प्लास्टिक की बॉल्स को मिलाकर एक सतह बनाई गई हो, जैसा कि अक्सर छोटे बच्चों के खेलने के लिए प्ले एरिया बनाया जाता है। आज से दो साल पहले नासा का स्पेसक्राफ्ट OSIRIS-REx Bennu पर गया था जो अपने साथ कुछ सैम्पल लेकर आया था। उन सैम्पलों को स्टडी करने के बाद नासा के वैज्ञानिकों ने ये नतीजा निकाला है। नासा इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
OSIRIS-Rex साइंस टीम के मेंबर केविन वॉश का कहना है कि शोधकर्ताओं को वहां सॉलिड चट्टानें मिलनी चाहिए थीं अगर एस्ट्रॉयड की बनावट सघन कणों की बनी होती। लेकिन बजाय सघन चट्टानी सतह के, वैज्ञानिकों को वहां की सतह पर कणों के बीच में खाली जगह मिली है। वैज्ञानिक इसलिए हैरान हैं क्योंकि 2018 में जब एस्ट्रॉयड की स्टडी की गई थी तो वहां विशालकाय चट्टानों के होने का नतीजा मिला था जिनकी बनावट सघन थी। लेकिन अब स्थिति उसके उलट है, और वहां पर कण आपस में काफी ढीले तौर पर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। इनको आपस में कौन सा बल जोड़कर रखे हुए है, उसके लिए भी वैज्ञानिक अचंभे में हैं।
टीम के साइंटिस्ट पैट्रिक माइकल ने खुलासा किया कि इसके बारे में शोध अभी भी जारी है क्योंकि खगोलीय पिंड कई तरह से बर्ताव कर सकते हैं। जैसा कि यह एस्ट्रॉयड भी कर रहा है। नासा ने ये भी कहा है कि अगर कभी कोई एस्ट्रॉयड पृथ्वी को छूने की कोशिश करता है तो पृथ्वी के वातावरण के कारण उसके कण बिखर जाएंगे। एजेंसी ने कहा है कि एस्ट्रॉयड एक दूसरे से ग्रेविटी के कारण चिपके रहते हैं। और अगर टकराव होता है तो Bennu जैसे एस्ट्रॉयड को सॉलिड एस्ट्रॉयड की तुलना में अलग तरह के खतरों का सामना करना पड़ेगा।
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