देश में स्मार्टफोन यूजर्स के लिए कॉल ड्रॉप एक बड़ी समस्या है। टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने इस समस्या से निपटने की तैयारी की है। इसके साथ ही टेलीकॉम सेक्टर को ग्रोथ में मदद के लिए प्रतिस्पर्धा की समान स्थितियां भी उपलब्ध कराई जाएंगी। कॉल ड्रॉप के समाधान के लिए TRAI कड़े रेगुलेशन बना सकता है।
इसके साथ ही क्वालिटी ऑफ सर्विसेज (QoS), सैटकॉम स्पेक्ट्रम के एलोकेशन और पिछले वर्ष संसद में पारित हुए टेलीकम्युनिकेशंस एक्ट को लागू करने के लिए भी कार्य किया जा रहा है।
TRAI के नए चेयरमैन, Anil Kumar Lahoti ने संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा कि टेलीकॉम रेगुलेटर की प्राथमिकताओं में QoS में सुधार करना और टेलीकॉम सेक्टर की ग्रोथ में मदद शामिल हैं। पिछले कुछ महीनों में कॉल ड्रॉप की समस्या बढ़ी है। इसके समाधान के लिए TRAI कड़े रेगुलेशन बनाने पर विचार कर रहा है।
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज उपलब्ध कराने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को स्पेक्ट्रम के एलोकेशन में भी तेजी लाई जाएगी। बड़ी टेलीकॉम कंपनियों में शामिल
Reliance Jio, अमेरिकी बिलिनेयर Elon Musk की कंपनी Starlink और Amazon के Project Kuiper की भी देश में इस सर्विस को उपलब्ध कराने में दिलचस्पी है। रिलायंस जियो की सैटेलाइट बेस्ड इंटरनेट सर्विस JioSpaceFiber जल्द शुरू हो सकती है। पिछले वर्ष कंपनी ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में सैटकॉम टेक्नोलॉजी को प्रदर्शित किया था। रिलायंस जियो को जल्द ही इंडियन स्पेस प्रमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर (IN-SPACe) से जरूरी अप्रूवल मिल सकता है।
हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट में इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्र के हवाले से बताया गया था कि कंपनी ने IN-SPACe के पास अनिवार्य दस्तावेज जमा कर दिए हैं। सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने के साथ ही कई मिनिस्ट्रीज से अप्रूवल लेने होंगे। पिछले वर्ष इंडिया मोबाइल कांग्रेस में रिलायंस जियो ने बताया था कि उसने दूरदराज के चार क्षेत्रों को अपनी JioSpaceFiber सर्विस से कनेक्ट किया है। ये क्षेत्र गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट, ONGC हैं। की सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस का मुकाबला Elon Musk की Starlink और Amazon के Project Kuiper से हो सकता है। इन विदेशी कंपनियों की ये सर्विसेज लॉन्च करने की योजना है। सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज के लिए स्पेक्ट्रम देने में लाइसेंसिंग का प्रोसेस हो सकता है।