देश में चार-पांच दूरसंचार कंपनियों का एक कार्टेल (गुट) एक अरब ग्राहक जोड़े हुए है और प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये कमा रहा है, पर वे सेवा को बेहतर बना कर काल ड्राप रोके के लिए अपने नेटवर्क पर आवश्यक निवेश नहीं कर रही हैं। यह बात सरकार ने उच्चतम न्यायालय को गुरुवार यह जानकारी दी।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘‘करीब चार-पांच दूरसंचार कंपनियों का एक कार्टेल (गुट) है जिनके ग्राहकों की संख्या एक अरब है। ये कंपनियां आउटगोइंग काल (अपने नेटवर्क से की गयी कॉल) के जरिए प्रतिदिन 250 करोड़ रुपये की कमाई कर रही हैं। इनके कारोबार की वृद्धि जबरदस्त है, लेकिन वे कॉल ड्रॉप पर अंकुश के लिए सेवाओं की गुणवत्ता सुधारने को अपने नेटवर्क पर बहुत कम निवेश कर रही हैं।’’ भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की ओर से उपस्थित रोहतगी ने न्यायमूर्ति कुरियन जोसफ तथा न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ के समक्ष नियामक द्वारा दूरसंचार कंपनियों पर लगाए गए जुर्माने को उचित बताया। उन्होंने कहा कि यह जुर्माना 280 करोड़ रुपये है, हजारों करोड़ रुपये नहीं, जैसा कि दूरसंचार कंपनियां दावा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि वे कॉल्स के जरिये एक साल में एक लाख करोड़ रुपये बना रहे हैं और जुर्माने का प्रभाव 270 से 280 करोड़ रुपये होगा, हजारों करोड़ रुपये नहीं, जैसा कि वे दावा कर रही हैं।
अटार्नी जनरल ने आगे कहा कि 2009 से 2015 के दौरान दूरसंचार कंपनियों के ग्राहकों का आधार 61 प्रतिशत बढ़ा है। वे स्पेक्ट्रम के एक हिस्से का इस्तेमाल डेटा के लिए कर रही हैं और पैसा बना रही हैं।
रोहतगी ने कहा, ‘‘डेटा सेवाओं की लागत कॉल्स से अधिक बैठती है। कोई भी कंपनी यहा परमार्थ के लिए नहीं है। वे यहां एक अरब ग्राहकों के साथ मुनाफा कमाने के लिए हैं। वे हर चीज के लिए पैसा लेती हैं।’’ सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन आफ इंडिया तथा वोडाफोन, भारती एयरटेल और रिलायंस सहित 21 दूरसंचार कंपनियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें ट्राई के जनवरी से कॉल ड्रॉप के लिए ग्राहकों को मुआवजा देने के फैसले को उचित ठहराया गया है। अटार्नी जनरल ने कहा कि दूरसंचार आपरेटर कॉल ड्रॉप के लिए स्पेक्ट्रम की कमी को वजह बताते हैं, लेकिन हालिया 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी में स्पेक्ट्रम बिक नहीं पाया। उन्होंने कहा कि चाहे आपके पास स्पेक्ट्रम है या कम स्पेक्ट्रम है या ट्राई की समस्या नहीं है। यदि आपके पास कम स्पेक्ट्रम है, तो आपको या तो अपने ग्राहकों की संख्या कम करनी चाहिए या प्रौद्योगिकी में निवेश करना चाहिए। कोई भी यह कहते हुए आगे नहीं आया है कि मेरे हाथ भरे हुए हैं और मुझे और ग्राहकों की जरूरत नहीं है।
रोहतगी ने कहा कि पिछले पांच साल में दूरसंचार कंपनियों ने भारत में पांच अरब रुपये का निवेश किया है, जबकि चीन में यह निवेश 50 अरब रुपये
इस पर पीठ ने अटार्नी जनरल से पूछा कि नियामक और सरकार दूरसंचार कंपनियों से अपने नेटवर्क में निवेश करने को क्यों नहीं कह रही है। अटार्नी जनरल ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों को निवेश के लिए कहना आक्रामक तरीका होगा। अभी उनसे नरम तरीके से ऐसा करने को कहा जा रहा है। यदि चीजें नहीं सुधरती हैं, तो अधिक कुछ किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह नियमन उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए लाया गया है।
दूरसंचार कंपनियों के इस आरोप कि उन्हें इमारतों पर टावर नहीं लगाने दिया जा रहा है, पर रोहतगी ने कहा कि न्यूयार्क और आइसलैंड में कोई मोबाइल टावर नहीं हैं, लेकिन प्रौद्योगिकी में निवेश की वजह से वे गुणवत्ता वाली सेल्युलर सेवाएं दे रहे हैं। दिनभर चली सुनवाई के बाद भी यह मामला अधूरा रहा है।
अब इस पर सुनवाई 26 अप्रैल को आगे जारी होगी।
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