• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • मंगल ग्रह की यात्रा में 500 नहीं सिर्फ 45 दिन लगेंगे, जानें क्‍या है रिसर्चर्स का आइडिया

मंगल ग्रह की यात्रा में 500 नहीं सिर्फ 45 दिन लगेंगे, जानें क्‍या है रिसर्चर्स का आइडिया

ऐसा संभव हुआ, तो मंगल ग्रह से जुड़ी खोज में काफी तेजी आएगी।

मंगल ग्रह की यात्रा में 500 नहीं सिर्फ 45 दिन लगेंगे, जानें क्‍या है रिसर्चर्स का आइडिया

साइंटिस्‍ट एक लेजर-थर्मल प्रपल्‍शन सिस्‍टम की क्षमता का आकलन कर रहे हैं। इसी की बदौलत इतने कम वक्‍त में मंगल पर पहुंचने की उम्‍मीद जगी है।

ख़ास बातें
  • ऐसा संभव हुआ, तो मंगल ग्रह से जुड़ी खोज में काफी तेजी आएगी
  • वैसे, डायरेक्‍टेड ऊर्जा का इस्‍तेमाल करने का आइडिया नया नहीं है
  • हाल के वर्षों में इस पर काफी रिसर्च हुई है
विज्ञापन
अंतरिक्ष के छुपे हुए रहस्‍यों को खोजने के लिए दुनियाभर की स्‍पेस एजेंसियां काम कर रही हैं। प्राइवेट कंपनियों ने भी अपने कमर्शल वेंचर्स के साथ इस क्षेत्र में कदम रखा है। अमेरिका और चीन जैसे देशों की नजर मंगल (Mars) ग्रह पर है। दोनों ही देश अगले दशक तक मंगल ग्रह पर इंसानों को उतारने का लक्ष्‍य लेकर चल रहे हैं। इस मकसद की तारीफ तो की जानी चाहिए, लेकिन साथ ही कई तकनीकी चुनौतियां भी हैं। उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह के लिए एक मिशन हर 26 महीने में सिर्फ एक बार लॉन्‍च किया जा सकता है। ऐसा इसलिए, क्‍योंकि मंगल और पृथ्‍वी अपने नजदीकी बिंदु पर होते हैं। इसके बाद भी जो तकनीक मौजूद है, उसकी मदद से पृथ्‍वी से मंगल तक पहुंचने में 9 महीनों का वक्‍त लगेगा। यही वजह है कि अंतर‍िक्ष यात्रा को बदलने के लिए नए विचारों की जरूरत महसूस होती है।   

इसका सॉल्‍यूशन लेकर आया है कनाडा की मैकगिल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स का एक ग्रुप। उनका कहना है कि अगर अंतरिक्ष यान उनके द्वारा बताई गई संचालक शक्ति प्रणाली (propulsion system) का इस्‍तेमाल करता है, तो पृथ्वी-मंगल की यात्रा का समय घटाकर सिर्फ 45 दिन किया जा सकता है। यानी पृथ्‍वी से मंगल ग्रह पर पहुंचने में 45 दिनों का वक्‍त लगेगा। ऐसा संभव हुआ, तो मंगल ग्रह से जुड़ी खोज में काफी तेजी आएगी। साइंटिस्‍ट एक लेजर-थर्मल प्रपल्‍शन सिस्‍टम की क्षमता का आकलन कर रहे हैं। इसी की बदौलत इतने कम वक्‍त में मंगल पर पहुंचने की उम्‍मीद जगी है। 

डायरेक्‍टेड ऊर्जा का इस्‍तेमाल करने का आइडिया नया नहीं है। हाल के वर्षों में इस पर काफी रिसर्च हुई है। इसके तहत अंतरिक्ष यान को गहरे अंतरिक्ष में ले जाने के लिए लेजर बीम का इस्‍तेमाल किया जाता है। लेजर जितना ज्‍यादा ताकतवर होगा, अंतरिक्ष यान को भी उतनी ही तेज स्‍पीड दी जा सकती है। रिसर्चर्स ने अंतरिक्ष यान पर बड़े लेजरों को लगाने का प्रस्ताव दिया है। यह बिजली पैदा करेगा और थ्रस्‍ट पैदा करेगा। 

रिसर्चर्स ने अपनी स्‍टडी को एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोनॉमी जर्नल में पेश किया है। इस रिसर्च को एयरोस्‍पेस इंजीनियरिंग के स्‍टूडेंट इमैनुएल डुप्ले ने लीड किया था। अगर यह विचार सफल होता है, तो मंगल ग्रह से जुड़ी कई चुनौतियों से निपटा जा सकेगा। वहां इंसान को उतारने का मकसद तेजी से पूरा हो सकेगा। यह भी समझने में मदद मिलेगी कि क्‍या कभी मंगल ग्रह पर जीवन था। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ईमेल करते हैं, तो कोई इंसान जवाब ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Infinix Hot 60i 5G भारत में हुआ लॉन्च, 6,000 mAh की बैटरी
  2. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  3. Ola Electric ने लॉन्च किया S1 Pro Sport, जानें प्राइस, रेंज
  4. Oppo K13 Turbo Pro की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस, ऑफर्स
  5. Google Search में AI मोड भारत में हुआ शुरू, जानें कैसे करें उपयोग
  6. Flipkart Freedom Sale: 7 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Google का पिक्सल फोन
  7. Lava Blaze AMOLED 2 5G vs iQOO Z10 Lite 5G vs Moto G45 5G: 15 हजार में कौन है बेस्ट
  8. घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है या गंदे हैं सार्वजिक शौचालय तो इस सरकारी ऐप पर करें रिपोर्ट, जल्द मिलेगा समाधान
  9. प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देगी BSNL, सरकार से मिलेंगे 47,000 करोड़ रुपये
  10. Honor X7c 5G अगले सप्ताह होगा भारत में लॉन्च, 5,200mAh की बैटरी
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »