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पृथ्‍वी को ठंडा रखने के लिए वैज्ञानिकों ने किया सीक्रेट टेस्‍ट, सूर्य को चकमा देने की कोशिश!

Secret Test To Cool Earth : वैज्ञानिकों ने क्लाउड ब्राइटनिंग तकनीक का इस्‍तेमाल किया। इस तकनीक में बादलों को ब्राइट यानी उज्‍ज्‍वल बनाया जाता है ताकि वो धूप के छोटे से हिस्‍से को रिफ्लेक्‍ट कर पाएं और उस इलाके के तापमान में कमी आए।

पृथ्‍वी को ठंडा रखने के लिए वैज्ञानिकों ने किया सीक्रेट टेस्‍ट, सूर्य को चकमा देने की कोशिश!

Photo Credit: Pixabay

प्रयोग सफल होता है तो भविष्‍य में समुद्र के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जा सकता है।

ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों ने किया सीक्रेट टेस्‍ट
  • सूर्य की कुछ किरणों को रिफ्लेक्‍ट करने की कोशिश
  • टेस्‍ट कामयाब हुआ तो मिलेगी मदद
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साल 2023 में दुनिया के कई देशों ने भीषण गर्मी का सामना किया। भारत के मौसम विभाग ने इस साल 8 राज्‍यों में बहुत गर्मी पड़ने की बात कही है। बीते कई साल से दुनिया का तापमान बढ़ा है और इसने वैज्ञानिकों को चिंता में डाला है। पृथ्‍वी के तापमान को कम रखने के लिए साइंटिस्‍टों ने एक ‘सीक्रेट' टेस्‍ट किया है। न्‍यू यॉर्क टाइम्‍स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी वैज्ञानिकों ने पृथ्वी को अस्थायी रूप से ठंडा करने के लिए एक तरीका आजमाया। उन्‍होंने सूर्य की कुछ किरणों को अंतरिक्ष में वापस भेजने की कोशिश की।  

रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने क्लाउड ब्राइटनिंग (cloud brightening) तकनीक का इस्‍तेमाल किया। इस  तकनीक में बादलों को ब्राइट यानी उज्‍ज्‍वल बनाया जाता है ताकि वो धूप के छोटे से हिस्‍से को रिफ्लेक्‍ट कर पाएं और उस इलाके के तापमान में कमी आए। प्रयोग सफल होता है तो भविष्‍य में समुद्र के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए इसका इस्‍तेमाल किया जा सकता है।  
 

ऐसे किया गया प्रयोग 

रिपोर्ट के अनुसार, 2 अप्रैल को वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने सैन फ्रांसिस्को में एक रिटायर्ड एयरक्राफ्ट कर‍ियर पर बर्फ-मशीन जैसी डिवाइस को इस्‍तेमाल किया। उसकी मदद से आसमान में तेज स्‍पीड के साथ नमक के कणों की धुंध (mist) छोड़ी गई। 

यह प्रयोग CAARE नाम के एक सीक्रेट प्रोजेक्‍ट का हिस्‍सा था। एक्‍सपेरिमेंट का मकसद बादलों को ब्राइट बनाकर मिरर की तरह इस्‍तेमाल करना था, ताकि धरती पर पड़ने वाली सूर्य की रोशनी वापस स्‍पेस में रिफ्लेक्‍ट हो जाए। 

हालांकि सबसे बड़ा सवाल है कि क्‍या यह ग्‍लोबल वॉर्मिंग से निपटने में कारगर है। कुछ का दावा है कि यह प्रोसेस C02 के बढ़ने से होने वाली ग्लोबल वार्मिंग को बैलेंस कर सकती है। कई वैज्ञानिक मानते हैं कि इसके रिजल्‍ट्स की अभी से भविष्‍यवाणी करना जल्‍दबाजी होगा। अमेरिकी साइंटिस्‍टों ने जो किया वह सिर्फ एक प्रयोग है, लेकिन भविष्‍य के लिए नई संभावनाएं खोलता है। 

 
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