अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने पिछले साल अक्टूबर में लुसी (Lucy) नाम का सैटेलाइट लॉन्च किया था। इस सैटेलाइट ने हाल में देखे गए चंद्रग्रहण को बेहद खास तरीके से तस्वीरों में कैद किया है। इस सैटेलाइट को 12 साल की यात्रा पर भेजा गया है। अपने मिशन के दौरान यह सैटेलाइट तमाम एस्टरॉयड से जुड़े तथ्य सामने रखेगा। यह उन 7 एस्टरॉयड की जांच भी करेगा, जो बृहस्पति ग्रह के ट्रोजन एस्टरॉयड ग्रुप से हैं।
सैटेलाइट ने जब चंद्रग्रहण को देखा, तब यह पृथ्वी से 64 मिलियन मील (100 मिलियन किमी) की दूरी पर था, जो पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का लगभग 70 प्रतिशत है। मिशन के प्रमुख रिसर्चर और साउथवेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट के प्लैनेटरी साइंटिस्ट हैल लेविसन ने कहा कि कि चंद्र ग्रहण बहुत दुर्लभ नहीं हैं। वो हर साल होते हैं, पर ऐसा अक्सर नहीं होता है कि आपको उन्हें पूरी तरह से नए एंगल से देखने का मौका मिले। लेविसन ने कहा कि जब टीम ने महसूस किया कि लुसी को इस चंद्रग्रहण को देखने का मौका मिला है, तो हर कोई उत्साहित था।
एक्टिंग डेप्युटी प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर डॉ. जॉन स्पेंसर ने
कहा कि इन इमेजेस को कैप्चर करना असल में एक अद्भुत टीम प्रयास था। कई टीमों ने मिलकर काम किया, जिससे पृथ्वी और चंद्रमा को एक ही फ्रेम में हासिल किया जा सका।
चंद्रग्रहण के पहले भाग का 2 सेकंड का
टाइमलैप्स बनाने के लिए सैटेलाइट ने 86, वन-मिलीसेकंड एक्सपोजर शॉट्स लिए। इस वीडियो को नासा ने अपनी वेबसाइट पर पब्लिश किया है, जिसमें ग्रहण का क्रॉस-सेक्शनल व्यू बेहद शानदार नजर आता है।
15 मई का यह चंद्रग्रहण लगा था। यह साल का पहला चंद्र ग्रहण था, जिसे लंदन, पेरिस, रोम, ब्रुसेल्स, जोहान्सबर्ग, मैड्रिड, सैंटियागो, वॉशिंगटन, न्यू यॉर्क, रियो डी जनेरियो और शिकागो में देखा गया। इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों ने भी इस चंद्रग्रहण को तस्वीरों में कैद किया था। यूरोपीय अंतरिक्ष यात्री सामंथा क्रिस्टोफोरेटी ने ट्विटर पर कई स्नैपशॉट शेयर किए थे। इनमें स्पेस स्टेशन के इक्विपमेंट से तैयार किए गए ‘सुपर फ्लावर ब्लड मून' चंद्र ग्रहण के विभिन्न चरणों को दिखाया गया था।
चंद्र ग्रहण की अवधि 5 घंटों से ज्यादा की थी। बताया गया है कि करीब 85 मिनट तक चंद्रमा पूर्ण अंधकार में रहा, जो 33 साल में सबसे लंबा वक्त है। चंद्र ग्रहण तब होता है, जब सूरज, धरती और चांद एक सीध में आ जाते हैं। इस स्थिति में चांद को धरती की छाया से गुजरना होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान चांद धरती की छाया के सबसे अंधेरे हिस्से में चला जाता है जिसे अम्ब्रा कहा जाता है।