NASA के  Curiosity रोवर ने दिखाया मंगल ग्रह पर सूर्य की स्पष्ट किरणों का नजारा

ये इमेज ट्विलाइट क्लाउड सर्वे की सीरीज के तहत ली गई हैं। यह सर्वे जनवरी में शुरू हुआ था और मार्च के मध्य तक चलेगा

विज्ञापन
Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 10 मार्च 2023 19:27 IST
ख़ास बातें
  • सूर्य की किरणों को क्रेपस्क्युलर रे भी कहा जाता है
  • ये बादलों के बीच की जगह से चमकने पर दिखती हैं
  • धरती पर सूर्य की किरणें अक्सर लाल या पीले रंग की दिखती हैं

ये इमेज ट्विलाइट क्लाउड सर्वे की सीरीज के तहत ली गई हैं

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के Curiosity यान ने मंगल ग्रह पर सूर्य की किरणों की स्पष्ट इमेज ली हैं। ये इमेज ट्विलाइट क्लाउड सर्वे की सीरीज के तहत ली गई हैं। यह सर्वे जनवरी में शुरू हुआ था और मार्च के मध्य तक चलेगा। सूर्य की किरणों को क्रेपस्क्युलर रे भी कहा जाता है। सूर्य की रोशनी के बादलों के बीच की जगह से चमकने पर ये दिखती हैं। 

Curiosity यान के ट्विटर पेज पर इन इमेजेज को शेयर किया गया है। यह पहली बार है कि जब सूर्य की किरणें मंगल ग्रह पर स्पष्ट दिखी हैं। धरती पर ये किरणें धुंधली स्थितियों में सबसे अधिक दिखती हैं, जब वातावरण में धुएं, धूल और अन्य कणों को रोशनी बिखरा देती है। ये किरणें बादल के पार एक बिंदु पर मिलती लगती हैं लेकिन वास्तव में ये एक दूसरे के समानांतर चलती हैं। पानी और कार्बन डाइऑक्साइड दोनों के बर्फ के बारीक टुकड़ों से बने मार्टियन बादल आमतौर पर धरती से 60 किलोमीटर तक ऊपर होते हैं। हालांकि, नई इमेज में बादल इससे कहीं ऊपर दिख रहे हैं। 

NASA की जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी का कहना है कि Curiosity यान को इनके दिखने का यह एक कारण हो सकता है। धरती पर सूर्य की किरणें अक्सर लाल या पीले रंग की दिखती हैं क्योंकि सूर्य की रोशनी दिन के मध्य में सीधे ऊपर से चमकने की तुलना में हवा से लगभग 40 बार अधिक गुजरती है। इसका मतलब है कि हवा से अधिक रोशनी बिखर जाती है। इस वजह से हमारी आंख तक पहुंचने वाली रोशनी अक्सर लाल या पीले रंग की लगती है। 

पिछले कई वर्षों से Nasa मंगल ग्रह पर अपने मिशन भेज रही है, ताकि वहां जीवन की संभावनाओं को टटोला जा सके। नासा इस ग्रह पर अंतरिक्ष यात्रियों को भी भेजना चाहती है। नासा ने बताया है कि वह एक परमाणु-संचालित रॉकेट का निर्माण कर रही है, जो पारंपरिक रॉकेट की तुलना में बहुत तेजी से इंसानों को मंगल ग्रह पर भेज सकता है। मंगल ग्रह पर पहुंचने में 7 महीने लगते हैं। नासा ने डिफेंस एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (DARPA) के साथ डिमॉन्‍स्‍ट्रेशन रॉकेट फॉर एजाइल सिस्लुनर ऑपरेशंस (DRACO) प्रोग्राम के लिए साझेदारी की है। इसे 2027 में टेस्‍ट किया जाएगा। नासा जिस न्‍यूक्लियर-पावर्ड रॉकेट के निर्माण पर काम कर रही है, वह इलेक्‍ट्रि‍क प्रोपल्‍शन के मुकाबले 10,000 गुना ज्‍यादा हाई थ्रस्ट-टु-वेट रेशो दे सकता है। 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: Space, Mars, Rover, Expedition, Sun, Rays, Curiosity, Red, Twitter, NASA, Light

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. TV स्क्रीन को साफ करते समय न करें ये गलतियां, हजारों का हो जाएगा नुकसान! जानें सही तरीके
#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo ने लॉन्च किया G3 5G, MediaTek Dimensity 6300 चिपसेट, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Infinix Hot 60i 5G भारत में हुआ लॉन्च, 6,000 mAh की बैटरी
  3. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  4. Ola Electric ने लॉन्च किया S1 Pro Sport, जानें प्राइस, रेंज
  5. Oppo K13 Turbo Pro की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस, ऑफर्स
  6. Google Search में AI मोड भारत में हुआ शुरू, जानें कैसे करें उपयोग
  7. Flipkart Freedom Sale: 7 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Google का पिक्सल फोन
  8. Lava Blaze AMOLED 2 5G vs iQOO Z10 Lite 5G vs Moto G45 5G: 15 हजार में कौन है बेस्ट
  9. घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है या गंदे हैं सार्वजिक शौचालय तो इस सरकारी ऐप पर करें रिपोर्ट, जल्द मिलेगा समाधान
  10. प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देगी BSNL, सरकार से मिलेंगे 47,000 करोड़ रुपये
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.