NASA Clipper Mission : दुनियाभर के वैज्ञानिक जिस सवाल का जवाब वर्षों से तलाश रहे हैं, वह सवाल है कि क्या इस ब्रह्मांड में हम अकेले हैं? क्या पृथ्वी के अलावा भी कहीं जीवन हो सकता है? अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी Nasa का नया मिशन इसी मकसद को लेकर अक्टूबर में उड़ान भरने वाला है। वह यूरोपा (Europa) के सफर पर निकलेगा, जो हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के कई चंद्रमाओं में से एक है। वैज्ञानिकों को लगता है कि यूरोपा में जीवन की संभावना मौजूद हो सकती है।
एनडीटीवी की
रिपोर्ट के अनुसार, मिशन के प्राेजेक्ट साइंटिस्ट बॉब पप्पालार्डो ने AFP से कहा कि नासा जिन बुनियादी सवालों को समझना चाहती है उनमें से एक यह है कि क्या हम इस ब्रह्मांड में अकेले हैं। अगर हमें जीवन के लिए अनुकूल परिस्थितियां ढूंढनी हों और किसी दिन सच में यूरोपा जैसी जगह पर जीवन का पता चल जाए तो कहा जाएगा कि हमारे सौर मंडल में पृथ्वी और यूरोपा, जीवन के दो उदाहरण हैं।
इससे यह समझना भी आसान हो जाएगा कि पूरे ब्रह्मांड में जीवन की मौजूदगी कितनी आसान हो सकती है। बहरहाल, 5 अरब डॉलर का क्लिपर प्रोब अभी कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (Nasa JPL) में मौजूद है। प्रोब को जहां रखा गया है, वहां चुनिंदा लोगों को ही जाने की इजाजत है।
क्लिपर को एलन मस्क (Elon Musk) की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) के फाल्कन हेवी रॉकेट पर बैठाकर रवाना किया जाएगा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि क्लिपर को बृहस्पति और यूरोपा की कक्षा में पहुंचने में 5 साल लगेंगे। उसके बाद वह यूरोपा को स्टडी करना शुरू करेगा। माना जाता है कि यूरोपा में बड़ी मात्रा में बर्फीले पानी की मौजूदगी है।
यूरोपा के बर्फीले पानी को टटोलने के लिए क्लिपर में कैमरा, स्पेक्ट्रोमीटर, मैग्नेटोमीटर और एक रडार जैसे इंस्ट्रूमेंट लगाए गए हैं। वो बर्फ में एंट्री कर सकते हैं ताकि लिक्विड वॉटर के साथ-साथ यह पता लगाया जा सके कि वहां मौजूद बर्फ कितनी मोटी है।