2.9 अरब किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजना चाहते हैं अपना नाम? पढ़ें यह खबर

इन नामों को यूरोपा क्लिपर स्‍पेसक्राफ्ट (Europa Clipper spacecraft) में शामिल किया जाएगा।

2.9 अरब किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजना चाहते हैं अपना नाम? पढ़ें यह खबर

Photo Credit: Nasa

यूरोपा क्लिपर स्‍पेसक्राफ्ट साल 2030 में बृहस्‍पति की कक्षा में प्रवेश कर सकता है।

ख़ास बातें
  • अंतरिक्ष में अपना नाम भेजने का मौका
  • अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी दे रही अवसर
  • 2030 में पहुंचेगा नाम 3 अरब किमी. दूर
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ऐसे बहुत कम मौके आते हैं, जब आम आदमी को पूछा जाए। उसे मौका मिले। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने इस बार आम लोगों को एक अवसर दिया है। अवसर भी छोटा-मोटा नहीं है। नासा एक मिशन के तहत लोगों को उनका नाम अरबों किलोमीटर दूर अंतरिक्ष में भेजने का मौका दे रही है। इन नामों को यूरोपा क्लिपर स्‍पेसक्राफ्ट (Europa Clipper spacecraft) में शामिल किया जाएगा। यह स्‍पेसक्राफ्ट साल 2030 में बृहस्‍पति की कक्षा में प्रवेश कर सकता है। 

प्रोजेक्‍ट का नाम मैसेज इन अ बॉटल (Message in a Bottle) है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, नाम भेजने के बदले लोगों को कोई पैसा नहीं देना होगा। इस लिंक पर क्लिक करके भेजें नाम। लोगों से नाम भेजने की अपील करते हुए नासा ने इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया और लिखा, लास्‍ट मिनट गिफ्ट चाहिए? हम अपने यूरोपा क्लिपर अंतरिक्ष यान पर नाम डाल रहे हैं, जो 1.8 अरब मील (2.9 अरब किमी) की यात्रा करेगा। 
 


नाम भेजने की लास्‍ट डेट 31 दिसंबर 2023 रखी गई है। नाम भेजना बहुत आसान है। लिंक पर क्लिक करने के बाद आपको नाम, ईमेल अड्रेस, देश का नाम और पिन कोड सिलेक्‍ट करना होगा। बताया जाता है कि बृहस्‍पति ग्रह के लिए रवाना होने वाले स्‍पेसक्राफ्ट में अमेरिकी कवि ‘एडा लिमोन' की एक कविता भी लिखी होगी। उसका टाइटल है- 'इन प्रेज ऑफ मिस्ट्री: ए पोएम फॉर यूरोपा'।

कव‍िता को इसी साल की शुरुआत में कांग्रेस लाइब्रेरी में पेश किया गया था। तभी नासा ने अपने इस कैंपेन को अनवील किया था। यूरोपा क्लिपर मिशन का मुख्‍य लक्ष्‍य यह पता लगाना है कि क्‍या बृहस्‍पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा के नीचे ऐसी जगहें हैं, जहां जीवन की संभावना हो सकती है। 

दरअसल, कई शोधों में यह पुष्टि हुई है कि यूरोपा की सतह पर बर्फ की मोटी चादर है और उसके नीचे महासागर हो सकता है। अपकमिंग मिशन में उस बर्फीली सतह की मोटाई का पता लगाया जाएगा। उसके नीचे मौजूद समुद्र को परखा जाएगा। 
 
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