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लेजर से मोड़ दिया गिरती बिजली का रास्ता, जानें कैसे काम करती है यह नई टेक्नोलॉजी

यूनिवर्सिटी के एक लेजर भौतिक विज्ञानी स्टेलियोस त्जोर्ट्जकिस कहते हैं "उपलब्धि प्रभावशाली है, यह देखते हुए कि वैज्ञानिक समुदाय 20 से अधिक वर्षों से इस उद्देश्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।"

लेजर से मोड़ दिया गिरती बिजली का रास्ता, जानें कैसे काम करती है यह नई टेक्नोलॉजी

विशेष रूप से निर्मित इस लेजर की कीमत 2 मिलियन यूरो (करीब 17.61 करोड़ रुपये) है

ख़ास बातें
  • बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए शुरू हुआ नया प्रोजेक्ट
  • खास लेजर बीम के जरिए बदली जाएगी गिरती बिजली की दिशा
  • 25 रिसर्चर्स की एक टीम ने सफलतापूर्वक इसे टेस्ट किया
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मानव सुरक्षा को लेकर दुनियाभर में वैज्ञानिक और रिसर्चर्स किसी न किसी प्रयोग में लगे रहते हैं। एक लेटेस्ट सफल प्रयोग बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए किया गया है, जिसमें बेहद तेजी से लेजर फेंक के बिजली के हमले को रोकने का सफल प्रयास हुआ है। इस प्रयोग को वैज्ञानिकों ने पहली बार वास्तविक दुनिया में प्रयोग करके दिखाया है। यूं तो लंबे अर्से से मेटल रॉड के जरिए गिरती हुई बिजली को जमीन में भेजने का तरीका इस्तेमाल किया जाता आया है, लेकिन लेजर के जरिए बिजली को दूर से ही डायवर्ट किया जा सकता है।

Nature.com की रिपोर्ट बताती है कि बिजली गिरने से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए वैज्ञानिकों ने नया तरीका इजाद किया है। इसमें एक ऐसी तकनीक बनाई गई है, जिसके जरिए लेजर को आसमान की ओर भेजकर गिरती बिजली को नीचे आने से रोका जा सकता है। ये प्रयोग ग्रीस की यूनिवर्सिटी ऑफ क्रीट के वैज्ञानिकों ने किया है।

रिपोर्ट कहती है कि यूनिवर्सिटी के एक लेजर भौतिक विज्ञानी स्टेलियोस त्जोर्ट्जकिस कहते हैं "उपलब्धि प्रभावशाली है, यह देखते हुए कि वैज्ञानिक समुदाय 20 से अधिक वर्षों से इस उद्देश्य के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।" हालांकि, स्टेलियोस इस प्रयोग में शामिल नहीं थे।

जैसा की हमने बताया, मेटल की रॉड आमतौर पर बिजली के हमलों को मोड़ने और उनके चार्ज को सुरक्षित रूप से नष्ट करने के लिए उपयोग की जाती हैं। लेकिन इन रॉड्स की लंबाई सीमित होती हैं, जिससे वो बड़े क्षेत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को रोकने में अक्षम होती हैं। हालांकि, वैज्ञानिकों ने लेजर के बारे में सोचा, क्योंकि इसे आसमान की ओर लंबी दूरी तक फेंका जा सकता है और साथ ही इसकी दिशा को निरंतर और तेजी से बदला जा सकता है। 

अभी तक इस पैंतरे को लैब में टेस्ट किया जा रहा था, लेकिन इस बार कथित तौर पर लगभग 25 रिसर्चर्स की एक टीम ने लेजर लाइटनिंग रॉड प्रोजेक्ट की स्थापना की, जिसने स्विस आल्प्स में विशेष रूप से निर्मित 2 मिलियन यूरो (करीब 17.61 करोड़ रुपये) की हाई-पावर लेजर को टेस्ट किया। वैज्ञानिकों ने सैंटिस दूरसंचार टावर के बगल में लेजर रखा, जिस पर अक्सर बिजली गिरती है।

रिपोर्ट के अनुसार, एक तीव्र लेजर आसमान की ओर जाके तेजी से हवा को गर्म करता है, इसके घनत्व को कम करता है और बिजली के लिए अनुकूल मार्ग बनाता है। प्रोजेक्ट के लीड ऑरेलियन हॉवर्ड कहते हैं कि "यह लेजर के साथ हवा में एक छेद को ड्रिल करने जैसा है।"

टावर से बिजली को हटाने की कोशिश करने के बजाय, इसके जरिए स्ट्राइक के रास्ते को बदला जा सकता है। हॉवर्ड कहते हैं, भविष्य के उपयोग में, इसी तरह के लेजर बीम के जरिए बिजली को संवेदनशील ढ़ांचों से दूर ले जाकर बिजली की रॉड तक पहुंचाया जा सकता है।

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नितेश पपनोई Nitesh has almost seven years of experience in news writing and reviewing tech products like smartphones, headphones, and smartwatches. At Gadgets 360, he is covering all ...और भी
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