वैज्ञानिक लंबे वक्त से ऐसे ग्रह का पता लगाने में जुटे हैं, जहां जीवन की संभावनाएं मौजूद हो सकती हैं। वह एक्सोप्लैनेट्स को भी टटोल रहे हैं। एक्सोप्लैनेट उन ग्रहों को कहा जाता है जो हमारे सूर्य नहीं, बल्कि किसी अन्य तारे की परिक्रमा करते हैं। इस बार खगोलविदों ने एक एक्सोप्लैनेट में रिपीट होने वाले सिग्नलों को ट्रेस किया है, जो यह जानने में मदद कर सकते हैं कि एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र मौजूद हो सकता है। ग्रह का नाम YZ Ceti b है। यह पृथ्वी से लगभग 12 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक लाल बौने तारे की परिक्रमा कर रहा है।
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शोध नेचर एस्ट्रोनॉमी में पब्लिश हुआ है। शोध से जुड़े खगोलविदों का कहना है कि इस खास चट्टानी
एक्सोप्लैनेट में एक चुंबकीय क्षेत्र होने की संभावना है। अगर ऐसा है, तो यह रिसर्च को और विस्तृत तरीके से करने की उम्मीद जगाता है। किसी भी ग्रह में जीवन पनपने के लिए उसमें चुंबकीय क्षेत्र का होना बेहद जरूरी है। यह ग्रह की उसके सूर्य से रक्षा करता है यानी वहां से आने वाले तूफानों जैसे-सोलर विंड से ग्रह को प्रोटेक्ट करता है।
गौरतलब है कि मंगल ग्रह पर भी कभी वातावरण मौजूद था। तब मंगल ग्रह का अपना चुंबकीय क्षेत्र हुआ करता था। मंगल की तरह ही बृहस्पति, शनि, यूरेनस और नेप्च्यून के अपने चुंबकीय क्षेत्र हैं और आज भी मौजूद हैं। तमाम रिसर्च में वैज्ञानिकों ने ऐसे सबूत जुटाए हैं, जो बताते हैं कि एक्सोप्लैनेट में चुंबकीय क्षेत्र हो सकता है।
हालांकि आज तक उन एक्सोप्लैनेट्स की पहचान नहीं हो पाई है। सच तो यह है कि चुंबकीय क्षेत्रों से लैस एक्सोप्लैनेट की खोज का कोई तरीका अबतक डेवलप हुआ ही नहीं है। सिर्फ इतना पता चला है कि रिपीट होने वाला रेडियो सिग्नल किसी एक्सोप्लैनेट के चुंबकीय क्षेत्र के बारे में सुराग दे सकता है।
अगर YZ Ceti b ग्रह में चुंबकीय क्षेत्र की पुष्टि हो जाती है, तो वैज्ञानिकों को जीवन की संभावना वाले ग्रहों का पता लगाने का एक तरीका मिल जाएगा। हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि YZ Ceti b ही वो ग्रह है, जहां जीवन पनप सकता है। यह ग्रह कई मायनों में अलग है। यह अपने सूर्य का चक्कर सिर्फ 2 दिनों में लगा लेता है, क्योंकि यह उसके बहुत पास स्थित है। इसका मतलब है कि YZ Ceti b का तापमान बहुत अधिक होगा, जो जीवन की मौजूदगी में एक रोड़ा है।