बीते कुछ महीनों से हमारा सूर्य अजीब व्यवहार कर रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह अपने 11 साल के चक्र से गुजर रहा है और बहुत अधिक एक्टिव फेज में है। इस वजह से साल 2025 तक सूर्य में विस्फोट होते रहेंगे। यह विस्फोट सोलर फ्लेयर्स और कोरोनल मास इजेक्शन (CME) की वजह बनेंगे, जिसके कारण अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और पृथ्वी पर पावर ग्रिड को नुकसान पहुंच सकता है। दरअसल, हर 11 साल में एक नया सौर चक्र शुरू होता है। इस दौरान सूर्य काफी एक्टिव हो जाता है। उसमें विस्फोट देखने को मिलते हैं। इस दौरान सूर्य से कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर्स उत्सर्जित होते हैं। अगर इनकी दिशा पृथ्वी की ओर हो, तो हमारे ग्रह पर भू-चुंबकीय तूफान आते हैं, जिससे सैटेलाइट्स व पृथ्वी पर मौजूद पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है।
इसी साल की शुरुआत में अरबपति एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक ने एक सौर तूफान की वजह से अपने 40 सैटेलाइट्स को खो दिया था। इन सैटेलाइट्स को फाल्कन-9 रॉकेट के जरिए स्पेस में भेजा गया था और वहां कक्षा में स्थापित होने के ठीक बाद ये बर्बाद हो गए।
ना सिर्फ सैटेलाइट बल्कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी इस खतरे की जद में है। अगर सौर तूफान इस तक पहुंचता है, तो बड़ी मुसीबत आ सकती है, क्योंकि वहां कई अंतरिक्ष यात्री मिशन में जुटे हुए हैं। हाल ही में एक सनस्पॉट ने वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ा दी थी, क्योंकि वह पृथ्वी की ओर फोकस्ड था। अगर उस दिन उसमें विस्फोट हुआ होता, तो पृथ्वी पर एक बड़ा सौर तूफान आ सकता था।
बात करें
कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME की तो ये सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
वहीं, जब सूर्य की चुंबकीय ऊर्जा रिलीज होती है, तो उससे निकलने वाली रोशनी और पार्टिकल्स से सौर फ्लेयर्स बनते हैं। हमारे सौर मंडल में ये फ्लेयर्स अबतक के सबसे शक्तिशाली विस्फोट हैं, जिनमें अरबों हाइड्रोजन बमों की तुलना में ऊर्जा रिलीज होती है।