आसमान में होने वाली घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए यह खबर अहम है। अगले हफ्ते की शुरुआत में दुनिया एक उल्का बौछार (meteor shower) को एक्सपीरियंस कर सकती है। ताऊ हरक्यूलिड्स नाम की इस उल्का बौछार के बारे में कहा जाता है कि यह इसी नाम के एक तारे से आती है, जिसका मुख्य धूमकेतु (comet) SW3 है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) के अनुसार, 30 मई की रात और 31 मई की सुबह के समय में एक छोटी, लेकिन तेज उल्का बौछार आसमान में दिखाई दे सकती है।
नासा ने
कहा है कि अगर ये उल्काएं पृथ्वी पर पहुंचती हैं, तो वो लगभग 16 किलोमीटर प्रति घंटे की धीमी रफ्तार से वायुमंडल में प्रवेश करेंगी। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, दक्षिणी गोलार्ध की तुलना में उत्तरी गोलार्ध में इन उल्का बौछारों को देखना आसान होगा।
हालांकि यह सब अभी अनुमान है। अगर धूमकेतु का मलबा उससे अलग हो जाता है, तभी दुनिया एक बेहतरीन उल्का बौछार का अनुभव कर पाएगी। बताया जाता है कि यह पिछले 20 साल की सबसे बेहतरीन उल्का बौछार हो सकती है या फिर कुछ भी ना दिखाई दे।
SW3 धूमकेतु की खोज 1930 में हैम्बर्ग ऑब्जर्वेट्री के दो जर्मन खगोलविदों- अर्नोल्ड श्वासमैन और अर्नो आर्थर वाचमैन ने की थी। हालांकि फिर साल 1970 तक इसे नहीं देखा जा सका था। 1970 के बाद इसे दूरबीन की मदद से देखा जाने लगा। 1995 के बाद यह चमकीला हो गया खास मौके पर और हैवी दूरबीन के बिना भी दिखाई देने लगा।
ब्रह्मांड में होने वाली इस शानदार अनुमानित घटना को देखने के लिए कुछ खास बातों का खयाल रखना होगा। शहर की रोशनी और प्रदूषण से दूर जाएं। ऐसी जगह जाएं, जहां रात को आसमान साफ दिखे और आसपास घना अंधेरा हो। नजारे को देखने को लिए धैर्य रखने की जरूरत है। घंटों तक आसमान की ओर देखना पड़ सकता है, इसलिए कुर्सी पर बैठकर इंतजार करें। इससे आप थकेंगे नहीं।
रिपोर्टों के अनुसार, अगर उल्का विस्फोट होता है, तो इस नजारे को अमेरिका, दक्षिण-मध्य और पूर्वी कनाडा, मैक्सिको से लेकर पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। हालांकि वैज्ञानिक अभी आश्वस्त नहीं हैं कि यह उल्का बौछार कितनी प्रभावशाली होगी। हो सकता है कि हमें कुछ भी ना दिखाई दी। वैसे निराश होने की जरूरत नहीं है, दिसंबर में भी हमें आसमान में ऐसा नजारा देखने को मिल सकता है। फिलहाल तो हमें 30 और 31 मई की रात की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।