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छोटे रॉकेटों की बड़ी उड़ान… SSLV के बाद ‘विक्रम’ और ‘अग्निबाण’ दिखाएंगे भारत की ताकत

भारत में सैटेलाइट लॉन्‍च मार्केट साल 2022 में 720 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2033 तक 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।

छोटे रॉकेटों की बड़ी उड़ान… SSLV के बाद ‘विक्रम’ और ‘अग्निबाण’ दिखाएंगे भारत की ताकत

Photo Credit: ISRO

भारत के अंतरिक्ष संगठन इसरो (ISRO) ने हाल ही में एसएसएलवी (SSLV) रॉकेट के जरिए पहली बार एक सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचाया।

ख़ास बातें
  • कमर्शल सैटेलाइट लॉन्‍च के क्षेत्र में दबदबा बनाएंगे छोटे रॉकेट
  • SSLV के बाद विक्रम और अग्निबाण को उड़ाने की तैयारी
  • प्राइवेट कंपनियां भी उतरने की तैयारी में इस क्षेत्र में
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भारत के अंतरिक्ष संगठन इसरो (ISRO) ने हाल ही में एसएसएलवी (SSLV) रॉकेट के जरिए पहली बार एक सैटेलाइट को कक्षा में पहुंचाया। SSLV को खासतौर पर छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्‍च करने के लिए बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस रॉकेट की मदद से भारत कमर्शल लॉन्‍च के क्षेत्र में अपना दबदबा बढ़ा सकता है। प्राइवेट कंपनियां भी इस मार्केट को उम्‍मीदों से देख रही हैं। बहुत जल्‍द SSLV को स्काईरूट के 'विक्रम' (Vikram) और अग्निकुल कॉसमॉस के अग्निबाण (Agnibaan) रॉकेट से चुनौती मिलेगी। ये सभी रॉकेट छोटे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में पहुंचाने के लिए बनाए गए हैं। 

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इंडस्‍ट्री का अनुमान है कि भारत में सैटेलाइट लॉन्‍च मार्केट साल 2022 में 720 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2033 तक 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इंटरनेट कनेक्टिविटी देने से लेकर पृथ्वी के ऑब्‍जर्वेशन से जुड़े कई प्रयोगों के लिए छोटे सैटेलाइट सबसे कारगर होने की संभावना है। 

रिपोर्ट कहती है कि पिक्सल (Pixxel) और सैट्स्योर (Satsure) जैसी स्‍पेस स्टार्ट-अप कंपनियां पहले ही अपनी सर्विसेज के लिए छोटे सैटेलाइट्स का ग्रुप बनाने की योजना का ऐलान कर चुकी हैं। भारतीय कंपनियों की कोशिश है कि छोटे सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में पहुंचाने के लिए देसी रॉकेट्स दुनिया की पसंद बनें।   

भारतीय अंतरिक्ष संघ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल ए के भट्ट (रिटायर्ड) ने पीटीआई-भाषा को बताया किा बड़े रॉकेट मौजूद हैं, लेकिन ज्‍यादा संख्‍या में सैटेलाइट लॉन्‍च की वजह से कंपनियां इंतजार नहीं करना चाहतीं। वो जल्‍द से जल्‍द सैटेलाइट लॉन्‍च करना चाहती हैं। इसी वजह से छोटे रॉकेट्स को तैयार किया गया है। 

रिपोर्ट के अनुसार, पिक्सल इस साल के आखिर तक में अपने हाइपर-स्पेक्ट्रल सैटेलाइट्स को ऑर्बिट में स्थापित करने के लिए इसरो के लॉन्‍च वीकल्‍स का इस्‍तेमाल करने के बारे में सोच रही है। पिक्सल के सीईओ अवैस अहमद ने जुलाई में पीटीआई को बताया था कि कंपनी जो 6 सैटेलाइट बना रही है, उनमें से 3 स्पेसएक्स और तीन इसरो के साथ लॉन्‍च किए जाएंगे। 

हैदराबाद बेस्‍ड स्काईरूट एयरोस्पेस ने हाल में ही स्टेज 2 इंजन को टेस्‍ट किया है। यह विक्रम-1 रॉकेट को पावर देगा। इस साल के आखिर तक रॉकेट को लॉन्‍च करने की योजना है। उसी तरह से आईआईटी-मद्रास द्वारा डेवलप अग्निकुल कॉसमॉस भी अगले साल अपना कक्षीय रॉकेट ‘अग्निबाण' को लॉन्‍च कर सकता है। 
 
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