एक बड़ा सौर तूफान (solar storm) 14 अप्रैल को पृथ्वी से टकरा सकता है। वैज्ञानिक इसकी उम्मीद कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस इस घटना से पृथ्वी को संभावित नुकसान हो सकता है। अंतरिक्ष एजेंसियों का कहना है कि यह भू-चुंबकीय सौर तूफान शक्तिशाली हो सकता है, क्योंकि हाल ही में सूर्य काफी एक्टिव रहा है। वह अधिक चमक भी रहा है। यह सब इसलिए भी है, क्योंकि 11 साल के सौर चक्र में सूर्य अपनी सोलर मैक्सिमा के करीब पहुंच रहा है। इस वजह से पिछले कुछ महीनों में वह कई बार कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के साथ चमक रहा है।
नासा (NASA) और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) सूर्य के CME फ्लेयर्स की लगातार निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि सबसे प्रभावशाली तूफान 14 अप्रैल को पृथ्वी को प्रभावित करेगा। इस बार सौर फ्लेयर्स में बेहद तेज हवा होगी। नासा ने संभावना जताई है कि पृथ्वी से टकराने के बाद यह तूफान तेज हो जाएगा।
सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन स्पेस साइंसेज इंडिया (CESSI) ने एक ट्वीट में लिखा है कि 14 अप्रैल 2022 को 429 से 575 किलोमीटर प्रति सेकंड के बीच की गति के साथ पृथ्वी पर इस तूफान का असर हो सकता है। इस वजह से हल्के से मध्यम दर्जे की भू-चुंबकीय गड़बड़ी हो सकती है।
सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी परत पर मैग्निेटिक एक्टिविटी के कारण आए दिन विस्फोट होते हैं। इसकी वजह से प्लाज्मा और मैग्नेटिक फील्ड्स अंतरिक्ष में बाहर निकल जाते हैं। भू-चुंबकीय तूफान तब होता है जब एक कोरोनल मास इजेक्शन पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से टकराता है।
इस सौर तूफान की वजह से पृथ्वी पर बिजली ग्रिड और अन्य संसाधनों पर असर पड़ सकता है। ऊंचाई वाले इलाकों पर इसका ज्यादा असर दिखाई दे सकता है। कुछ इलाकों में बिजली की कटौती और रेडियो सिग्नलों में परेशानी आ सकती है।
पिछले साल दिसंबर में भी वैज्ञानिकों ने सौर तूफान की चेतावनी जारी की थी। एक विशेषज्ञ ने कहा था कि बहुत जल्द सूर्य से कम से कम दो "बिग-फ्लेयर प्लेयर्स" या कहें ज्वालाएं आ सकती हैं। अंतरिक्ष मौसम भौतिक विज्ञानी डॉ. तमिथा स्कोव ने कहा था कि कई सनस्पॉट क्लस्टर को पृथ्वी से भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि फिलहाल इस तूफान का फोकस पृथ्वी की तरफ नहीं है, लेकिन हम हाई अलर्ट पर हैं। सोलर एक्टिविटी के प्रमुख तौर पर 4 घटक हैं। इनमें शामिल हैं- सोलर फ्लेयर्स, कोरोनल मास इजेक्शन, हाई-स्पीड सोलर विंड और सोलर एनर्जी पार्टिकल्स।
तो, क्या ये सौर गतिविधियां पृथ्वी को प्रभावित करती हैं? नासा के अनुसार, सौर ज्वालाएं पृथ्वी पर तभी असर डालती हैं, जब वो सूर्य के पृथ्वी वाले हिस्से की तरफ होती हैं। इसी तरह कोरोनल मास इजेक्शन भी पृथ्वी पर तभी असर डालेंगे, जब सूर्य के पृथ्वी वाले हिस्से से बाहर आएंगे। सूर्य से निकाला गया चुंबकीय क्षेत्र और प्लाज्मा के विशाल बादल को कोरोनल मास इजेक्शन कहते हैं।
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