अंतरिक्ष के बारे में वैज्ञानिक लगातार नई खोज कर रहे हैं। इसके लिए अमेरिका की नासा के अलावा यूरोपियन स्पेस एजेंसी, और चीन भी अपने स्तर पर काम कर रहा है। NASA को इस बीच एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। अंतरिक्ष एजेंसी ने वोयेजर 2 (Voyager 2) स्पेसक्राफ्ट से दोबारा संपर्क साधने में सफलता हासिल कर ली है। इसके सबसे ज्यादा पावर वाले ट्रांसमीटर का इस्तेमाल कर एजेंसी ने वोयेजर के एंटिना को सही दिशा में सेट कर दिया है।
Voyager 2 को
नासा द्वारा 1977 में लॉन्च किया गया था। इसका मकसद सौरमंडल से बाहर के ग्रहों के बारे में पता लगाना था। वर्तमान में यह हमसे 19.9 अरब किलोमीटर दूर है। स्पेसशिप के लिए 21 जुलाई को कई कमांड्स भेजे गए थे। इनकी वजह से इसका एंटिना धरती की दिशा से 2 डिग्री दूसरी दिशा में घूम गया था। जिसके बाद स्पेसशिप सिग्नल भेजने और रिसीव करने में सफल नहीं हो पा रहा था। उसके बाद वोयेजर 2 को ऑटोमेटेड री-एलाइनमेंट के लिए तैयार किया गया।
मंगलवार को वैज्ञानिकों ने कई ऑब्जर्वेटरी की मदद से एक डीप स्पेस नेटवर्क (DSN) तैयार किया ताकि वोयेजर की ओर से आ रहे किसी भी तरह के सिग्नल को रिसीव किया जा सके। हालांकि, यह सिग्नल इतना ज्यादा कमजोर था कि इसके माध्यम से मिल रहा डेटा रीड करना संभव नहीं हो पा रहा था। अब नासा की
जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी ने नया अपडेट दिया है, जिसमें कहा गया है कि इसने वोयेजर को सही दिशा में स्थापित करने में सफलता हासिल कर ली है। इसे 'इंटरस्टेलर शाउट' कहा गया जिसे वोयेजर तक पहुंचने में 18.5 घंटे का समय लगा। जबकि जो वैज्ञानिक इस मिशन को कंट्रोल कर रहे थे, उनको 37 घंटे का समय लगा ये पता लगाने में कि कमांड ने वोयेजर के लिए अपना काम किया कि नहीं।
4 अगस्त को इसने डेटा भेजना शुरू कर दिया। इससे वैज्ञानिकों को पता लग पाया कि यह सामान्य तरीके से काम कर रहा है, और अपने अनुमानित प्रक्षेप पथ पर बढ़ रहा है। दिसंबर 2018 में इसने अपना प्रोटेक्टिव मेग्नेटिक कवच छोड़ दिया था। अब यह तारों के बीच अपनी यात्रा में आगे बढ़ रहा है। सौरमंडल से बाहर निकलने से पहले इसने बृहस्पति और शनि को एक्सप्लोर किया था। यह पहला स्पेसक्राफ्ट है जो यूरेनस और नेप्च्यून तक पहुंच पाया है।