चाइनीज स्मार्टफोन मेकर Xiaomi के भारत में बिजनेस के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं। कंपनी को मार्केट शेयर में कमी और रेगुलेटरी सख्ती जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। शाओमी ने देश में अपनी यूनिट की रिस्ट्रक्चरिंग करने का फैसला किया है। इस वजह से कंपनी से वर्कर्स की छंटनी की जा रही है।
एक मीडिया
रिपोर्ट के अनुसार, शाओमी के पास इस वर्ष की शुरुआत में देश में लगभग 1,500 वर्कर्स थे। कंपनी ने हाल ही में लगभग 30 वर्कर्स की छंटनी की है। यह जल्द ही दोबारा छंटनी कर सकती है। पिछले कुछ महीनों में कंपनी का मार्केट शेयर कम हुआ है। इस वजह से यह अपने रिसोर्सेज का बेहतर इस्तेमाल करने और खर्च को घटाने जैसे उपाय कर रही है। इसके मार्केट शेयर में Samsung जैसी कंपनियों ने सेंध लगाई है। कम प्राइस वाले स्मार्टफोन्स की कैटेगरी में कम मौजूदगी से भी कंपनी को नुकसान हो रहा है।
हाल ही में केंद्र सरकार ने चाइनीज मोबाइल कंपनियों के लिए नए रूल्स बनाए हैं। सरकार ने Realme, Oppo,
Xiaomi और Vivo जैसी कंपनियों को देश में उनके कारोबार में भारतीय इक्विटी पार्टनर्स को शामिल करने के लिए कहा है। इसके अलावा इन कंपनियों को चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर, चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर और चीफ टेक्निकल ऑफिसर जैसी सीनियर पोजिशंस पर भारतीय एग्जिक्यूटिव्स को नियुक्त करने के लिए कहा गया है। इन कंपनियों को भारतीय कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स को लाने, लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और देश से एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी करने का भी निर्देश दिया गया है।
मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी की ओर से बनाए गए इन रूल्स के तहत चाइनीज मोबाइल कंपनियों को केवल लोकल डिस्ट्रीब्यूटर्स ही रखने होंगे। इन कंपनियों को टैक्स चोरी के खिलाफ चेतावनी भी दी गई है। सरकार चाहती है कि ये कंपनियां भारत को अपने प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट का हब बनाएं। इस महीने की शुरुआत में शाओमी सीनियर एग्जिक्यूटिव्स और तीन बैंकों को FEMA के 5,551 करोड़ रुपये के उल्लंघन के मामले में एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) ने कारण बताओ नोटिस दिया था। इनमें शाओमी के CFO, Sameer Rao और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर, Manu Jain शामिल हैं। ED ने एक ट्वीट कर पुष्टि की थी कि उसने शाओमी, इसके चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर राव और पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर जैन और तीन विदेशी बैंकों को कथित तौर पर फॉरेन एक्सचेंज के उल्लंघन के लिए नोटिस दिए हैं। इस मामले में CITI Bank, HSBC Bank और Deutsche Bank को नोटिस दिए गए हैं।