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सोशल मीडिया, OTT पर अश्लील कंटेंट को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा सरकार से जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक 'महत्वपूर्ण चिंता' बताया और इस पर बैन लगाने से जुड़ी याचिका को लेकर केंद्र सरकार और अन्यों से जवाब मांगा है

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 28 अप्रैल 2025 19:17 IST
ख़ास बातें
  • OTT प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की खराब क्वालिटी को लेकर शिकायतें बढ़ी हैं
  • सुप्रीम कोर्ट ने इस समस्या पर चिंता जताई है
  • केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर कंटेंट को रेगुलेट करने के उपाय किए हैं

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसे प्रतिकूल कानूनी मामले के तौर पर नहीं लिया जाएगा

पिछले कुछ वर्षों में सोशल मीडिया और ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट की खराब क्वालिटी को लेकर शिकायतें तेजी से बढ़ी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इसे एक 'महत्वपूर्ण चिंता' बताया और इस पर बैन लगाने से जुड़ी याचिका को लेकर केंद्र सरकार और अन्यों से जवाब मांगा है। 

जस्टिस B R Gavai और Augustine George Masih की बेंच ने कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए उपाय लागू करना विधानमंडल या कार्यकारिणी की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच का कहना था, "यह हमारे अधिकार क्षेत्र के अंदर नहीं है।" हाल ही में न्यायपालिका को एक महत्वपूर्ण मामले में राय देने पर घेरे जाने की ओर संकेत करते हुए सुप्रीम कोर्ट की बेंच का कहना था, "पहले ही इस तरह के आरोप लग रहे हैं कि हम विधानमंडल और कार्यकारी की शक्तियों पर अतिक्रमण कर रहे हैं।" इस बारे में केंद्र सरकार की ओर पेश हुए सॉलिसिटर जनरल, Tushar Mehta ने कहा कि सरकार इसे एक प्रतिकूल कानूनी मामले के तौर पर नहीं लेगी। उन्होंने बताया, "हम कुछ ऐसा उपाय करेंगे जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का संविधान के आर्टिकल 19 (2) के साथ संतुलन बनाए।" 

मेहता ने कहा कि कुछ कंटेंट अश्लील होने के साथ ही 'विकृत' भी है। हालांकि, इसे बारे में कुछ रेगुलेशंस पहले ही मौजूद हैं और कुछ अन्य पर विचार किया जा रहा है। इस मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट Vishnu Shankar Jain ने कहा कि यह एक प्रतिकूल कानूनी मामला नहीं है। इस याचिका में सोशल मीडिया और OTT पर इस तरह के कंटेंट को लेकर गंभीर चिंता को उठाया गया है। जैन का कहना था कि इस तरह के कंटेंट को बिना किसी जांच या प्रतिबंधों के दिखाया जाता है। 

इस पर जस्टिस गवई ने मेहता से कहा, "आपको कुछ करना चाहिए।" इसके उत्तर में मेहता का कहना था कि इस तरह के प्लेटफॉर्म्स को बच्चे ज्यादा देखते हैं। उन्होंने बताया, "नियमित कार्यक्रमों में कुछ चीजें, भाषा और कंटेंट इस प्रकार का होता है जो न केवल अश्लील, बल्कि विकृत है।" उन्होंने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स पर कुछ कंटेंट इतना विकृत होता है कि दो सम्मानजनक पुरुष भी इसे इकट्ठा बैठकर नहीं दिख सकते। 


 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
 

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