रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को शुरू हुए 10 महीने होने जा रहे हैं। इस जंग में यूक्रेन इसलिए अबतक टिका है, क्योंकि पश्चिमी देशों से उसे भरपूर मदद मिल रही है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका यूक्रेन को सस्ते, छोटे और सटीक निशाने वाले बम रूपी हथियार देने के बारे में विचार कर रहा है। इन्हें रॉकेट में लगाकर हमला किया गया जा सकता है। इस मदद से यूक्रेन, रूसी बॉर्डर के करीब आए बिना रूस को निशाना बना सकता है। याद रखने वाला बात यह है कि इस हथियार को बोइंग (Boeing) ने तैयार किया है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण हथियारों की जरूरत बढ़ गई है। इस वजह से अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश भी हथियारों की कमी झेल रहे हैं। दूसरी ओर, यूक्रेन को इस जंग में अब और ज्यादा व एडवांस हथियारों की जरूरत है। यही वजह है कि अमेरिका, यूक्रेन को बोइंग का वह रॉकेट हथियार देने के बारे में सोच रहा है। इसे ग्राउंड लॉन्च्ड स्मॉल डायामीटर बॉम्ब (GLSDB) कहा जाता है।
रॉयटर्स ने अपनी
रिपोर्ट में बताया है कि GLSDB को साल 2023 की शुरुआत में यूक्रेन को सप्लाई किया जा सकता है। इस बम को M26 रॉकेट मोटर और GBU-39 (एक छोटा डायामीटर बम) से मिलाकर बनाया गया है। एक GBU-39 बम की कॉस्ट लगभग 40,000 डॉलर बताई जाती है। कहा जाता है कि यह बम किसी भी मौसम में अपना काम कर सकता है। इलेक्ट्रॉनिक जैमर की पकड़ में भी नहीं आता। इसकी मदद से बख्तरबंद गाड़ियों को भी नेस्तनाबूद किया जा सकता है। यह बम 150 किलोमीटर रेंज तक हमला कर सकता है। अगर इसे रॉकेट से गिराया जाए, तो यह 100 किलोमीटर दूर भी अपने टार्गेट को तबाह कर सकता है।
अमेरिकी सेना के प्रमुख हथियार खरीदार डौग बुश ने पिछले हफ्ते मीडिया से कहा था कि सेना 155 मिलीमीटर आर्टिलरी शेल्स के उत्पादन में तेजी लाने पर भी विचार कर रही है। उन्होंने कहा था कि रूस-यूक्रेन युद्ध ने अमेरिका में बने हथियारों और गोला-बारूद की मांग को बढ़ा दिया है। अमेरिका को हथियारों की एक सीरीज के लिए बहुत ऑर्डर दिए जा रहे हैं।
बहरहाल, GLSDB को तैयार करने वाली बोइंग ने इस मामले पर कोई रिएक्शन नहीं दिया है। पेंटागन के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कमांडर टिम गोर्मन ने भी यूक्रेन के लिए प्रस्तावित इस मदद पर बोलने से इंकार किया है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा है कि अमेरिका और सहयोगी देश यूक्रेन को हर संभव मदद पहुंचाएंगे।