स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (SUV) और ट्रैक्टर मार्केट में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाले Mahindra Group ने इलेक्ट्रिक व्हीकल डिवेलप करने और चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए Reliance BP Mobility Limited (Jio-bp) के साथ पार्टनरशिप की है। दोनों कंपनियों ने Mahindra के इलेक्ट्रिक थ्री और फोर व्हीलर्स के साथ स्मॉल कमर्शियल व्हीकल्स के लिए चार्जिंग सॉल्यूशंस तैयार करने के लिए MoU किया है। इस पार्टनरशिप में EV की मैन्युफैक्चरिंग की संभावना पर भी काम किया जाएगा।
महिंद्रा ग्रुप ने बताया कि इस पार्टनरशिप का उद्देश्य देश में EV की संख्या बढ़ाना है। इसके लिए हाई परफॉर्मेंस और स्वाप की जा सकने वाली बैटरियों को उपलब्ध कराया जाएगा। इसे साथ ही महिंद्रा के इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग सॉल्यूशंस में भी Jio-bp मदद करेगी। इस पार्टनरशिप के साथ महिंद्रा ग्रुप देश के EV मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। महिंद्रा ग्रुप की योजना अगले कुछ वर्षों में अपने व्हीकल्स के बैटरी-इलेक्ट्रिक वेरिएंट की बड़ी रेंज लॉन्च करने की है। इसके साथ ही यह अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए बैटरी बदलने की सर्विस शुरू करने पर भी विचार कर रहा है। इससे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स चलाने वालों को लंबी दूरी तक जाने में परेशानी नहीं होगी।
इससे महिंद्रा ग्रुप को बैटरी उपलब्ध कराने का एक नया बिजनेस भी मिल सकेगा। देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की बिक्री अभी कुल ऑटोमोबाइल सेल्स की तुलना में बहुत कम है। बैटरी की अधिक कॉस्ट और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी इसके पीछे बड़े कारण हैं। Jio-bp ने हाल ही में बताया था कि उसने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग और बैटरी बदलने की सर्विसेज शुरू की हैं।
महिंद्रा ग्रुप पेट्रोल और डीजल से चलने वाले व्हीकल्स के अपने मौजूदा पोर्टफोलियो को बढ़ाने के साथ ही इलेक्ट्रिक व्हीकल बिजनेस को भी मजबूत करना चाहता है। महिंद्रा ग्रुप का अनुमान है कि 2027 तक देश में उसकी कुल सेल्स में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की हिस्सेदारी लगभग 20 प्रतिशत की होगी। Jio-bp के साथ पार्टनरशिप से महिंद्रा ग्रुप को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स मार्केट में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार मेकर
Tesla भी भारत के EV मार्केट में बिजनेस शुरू करना चाहती है। कंपनी ने केंद्र सरकार से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाने का निवेदन किया है। हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां इसका विरोध कर रही हैं। उनका कहा है कि इम्पोर्ट ड्यूटी में कमी करने से देश में इन व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग पर असर पड़ेगा।
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