केंद्र सरकार ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के जरिए 2,000 रुपये से अधिक की ट्रांजैक्शंस पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स ( GST) लगाने से इनकार किया है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया था कि UPI से 2,000 रुपये से अधिक की ट्रांजैक्शंस पर GST लग सकता है। सरकार ने इस तरह की रिपोर्ट्स को पूरी तरह गलत और भ्रामक बताया है।
एक नोटिस में यह स्पष्ट किया गया है कि इस तरह के किसी
प्रपोजल पर विचार नहीं किया जा रहा है। सरकार ने UPI के जरिए डिजिटल तरीके से पेमेंट्स को बढ़ावा देने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया है।
UPI की लोकप्रियता तेजी से बढ़ने के साथ दुनिया में डिजिटल ट्रांजैक्शंस में भारत का योगदान लगभग 46 प्रतिशत हो गया है। हाल ही में PwC की रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 12 वर्षों में रिटेल डिजिटल पेमेंट्स में लगभग 90 गुणा की बढ़ोतरी हुई है। NPCI की योजना में UPI के फीचर्स बढ़ाना भी शामिल है। पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में मोबाइल फोन्स के इस्तेमाल से ट्रांजैक्शंस की वैल्यू बढ़कर 198 लाख करोड़ रुपये की थी। यह वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। इसमें UPI ट्रांजैक्शंस की बढ़ी हिस्सेदारी है।
पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में मोबाइल से पेमेंट्स क्रेडिट और डेबिट कार्ड्स के जरिए खर्च की गई रकम की तुलना में लगभग 14.5 प्रतिशत अधिक थी। मोबाइल से पेमेंट्स में UPI के जरिए ट्रांजैक्शंस की हिस्सेदारी लगभग 130 करोड़ रुपये की थी। इसके पीछे डिजिटल पेमेंट्स से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होना एक प्रमुख कारण है। UPI ट्रांजैक्शंस को दो कैटेगरी - पर्सन-टु-पर्सन (P2P) और पर्सन-टु-मर्चेंट (P2M) में रखा जाता है। पिछले वर्ष की दूसरी छमाही में सभी UPI ट्रांजैक्शंस का एवरेज टिकट साइज लगभग 1,515 रुपये का था।
पिछले वर्ष दिसंबर में UPI के जरिए ट्रांजैक्शंस की कुल वैल्यू लगभग 23.25 लाख करोड़ रुपये की थी। इससे पिछले महीने में यह आंकड़ा लगभग 21.55 लाख करोड़ रुपये का था। दिसंबर में इन ट्रांजैक्शंस की प्रति दिन की औसत वैल्यू लगभग 74,990 करोड़ रुपये की रही है। इससे पिछले महीने में यह आंकड़ा लगभग 71,840 करोड़ रुपये का था। NPCI ने हाल ही में इन ट्रांजैक्शंस के लिए वॉल्यूम की लिमिट को दो वर्ष के लिए बढ़ाया था। इसके अलावा WhatsApp के सभी यूजर्स के लिए UPI सर्विसेज उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई थी।