सरकार ने वैवाहिक वेबसाइट्स की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से गुरुवार को ऐसी वेबसाइट को चलाने के लिए दिशा-निर्देशों को मंजूरी दे दी है। साथ ही सरकार ने खाते बनाने के लिए पहचान का सबूत देने को भी अनिवार्य बना दिया है। सूत्रों के मुताबिक, संचार एवं आईटी मंत्रालय और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को कई शिकायतें मिली थीं, जिसके मद्देनजर सरकार ने यह कदम उठाया है।
सूत्रों ने बताया, "संचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने वेबसाइट्स के क्रियान्वन के लिए दिशा-निर्देशों को गुरुवार को मंजूरी दे दी। इसी के साथ, वैवाहिक साइट्स के कानूनी मानक स्पष्ट रूप से निर्धारित किए गए हैं।"
सूत्रों के मुताबिक, "उपभोक्ता को पहचान के उद्देश्य से पहचान का सबूत, पता जैसे दस्तावेजों की प्रति देनी होगी या अपलोड करनी होगी।"
दिशा निर्देश में कहा गया है कि वैवाहिक वेबसाइट को प्रोफाइल बनाने वाले का आईपी एड्रेस, खाता डिलीट होने के एक साल बाद तक भी रखना होगा।
वैवाहिक वेबसाइट के लिए उपभोक्ताओं की मंशा की पुष्टि करना भी अनिवार्य बना दिया गया है।
इसमें यह भी कहा गया है कि ऐसी साइट की सेवाएं प्रदान करने वालों को साइट के होमपेज पर घोषित करना होगा कि वेबसाइट केवल विवाह के मकसद से बनाई गई है और इसमें किसी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री नहीं होनी चाहिए।
सूत्र ने बताया, "वेबसाइट को पारदर्शिता बनाए रखनी होगी। उसे डाटा संग्रह में निष्पक्षता बरतनी होगी और उसके पास शिकायत निवारण के लिए एक तंत्र होना अनिवार्य है।"
सूत्र ने कहा, "वेबसाइट को धोखाधड़ी के मामलों की सूचना देने के लिए पंजीकृत उपभोक्ताओं को प्रेरित करने के दिशा-निर्देश भी दिए गए हैं।"
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