अमेरिकी टेक कंपनी Google को कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) की ओर से कंपनी पर एंड्रॉयड को लेकर कॉम्पिटिशन विरोधी तरीकों का इस्तेमाल करने की वजह से लगाई गई लगभग 1,338 करोड़ रुपये की पेनल्टी पर सुप्रीम कोर्ट से सोमवार को राहत नहीं मिली। गूगल ने इस पेनल्टी के खिलाफ नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल (NCLAT) में अपील की थी। NCLAT ने कंपनी के खिलाफ इस ऑर्डर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गूगल ने NCLAT के ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
देश के चीफ जस्टिस D Y Chandrachud, जस्टिस P S Narasimha और J B Pardiwala की बेंच ने
गूगल की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट A M Singhvi से बुधवार तक यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या यूरोप में लागू स्टैंडर्ड्स को भारत में भी लागू किया जा सकता है या नहीं। इस मामले की अगली सुनवाई बुधवार को होगी। सिंघवी ने इससे पहले इस मामले में जल्द सुनवाई करने की मांग की थी। उनका कहना था कि CCI ने असाधारण निर्देश दिए हैं और CCI के ऑर्डर का 19 जनवरी तक पालन किया जाना है।
गूगल ने
CCI के ऑर्डर के कारण देश में Android से जुड़े इकोसिस्टम की ग्रोथ रुकने की चेतावनी दी है। इस ऑर्डर में कंपनी से एंड्रॉयड की मार्केटिंग के तरीके में बदलाव करने के लिए कहा गया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में गूगल ने बताया है कि उसे अपने मौजूदा कॉन्ट्रैक्ट्स में बदलाव करने होंगे, नए लाइसेंस एग्रीमेंट लाने होंगे और 1,100 से अधिक डिवाइस मैन्युफैक्चरर्स और ऐप डिवेलपर्स के साथ अपने मौजूदा सिस्टम में बदलाव करना होगा। कंपनी का कहना है कि एंड्रॉयड मोबाइल प्लेटफॉर्म्स को लगभग 15 वर्ष हो गए हैं और कंपनी के इसमें बड़े बदलाव करने से मुश्किल होगी।
CCI ने गूगल को चलाने वाली अमेरिकी कंपनी Alphabet Inc पर एंड्रॉयड के मार्केट में अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करने के लिए पिछले वर्ष अक्टूबर में लगभग 16.1 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगाया था। भारत में लगभग 97 प्रतिशत स्मार्टफोन्स एंड्रॉयड पर चलते हैं और गूगल के लिए यह एक बड़ा मार्केट है। NCLAT ने गूगल को पेनल्टी का 10 प्रतिशत भुगतान करने का निर्देश दिया है।