Flipkart की IPO लाने की तैयारी, सिंगापुर से भारत शिफ्ट होगी होल्डिंग कंपनी

फ्लिपकार्ट ने 2011 में अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर में शिफ्ट किया था। लगभग सात वर्ष पहले अमेरिकी रिटेल कंपनी Walmart ने फ्लिपकार्ट में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी

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Written by आकाश आनंद, अपडेटेड: 22 अप्रैल 2025 18:31 IST
ख़ास बातें
  • लगभग 17 वर्ष पहले फ्लिपकार्ट की शुरुआत ऑनलाइन बुक्स बेचने से हुई थी
  • कंपनी ने इसके बाद बहुत सी प्रोडक्ट कैटेगरी में विस्तार किया था
  • भारत में डुअल लिस्टिंग की अनुमति नहीं है

देश में ई-कॉमर्स का मार्केट 2028 तक बढ़कर 160 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है

बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में शामिल Flipkart अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर से भारत शिफ्ट करेगी। फ्लिपकार्ट की पैरेंट कंपनी Walmart की योजना इसका इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) लाने की है। बहुत से भारतीय स्टार्टअप्स ने अधिक कैपिटल और कम टैक्स की वजह से अपना बेस विदेश में रखा था। हालांकि, भारत में IPO की बेहतर संभावनाओं की वजह से इनमें से कुछ स्टार्टअप्स सिंगापुर और अमेरिका से वापस लौट रहे हैं। भारत में डुअल लिस्टिंग की अनुमति नहीं है। 

फ्लिपकार्ट ने एक स्टेटमेंट में बताया है, "यह कदम एक सामान्य प्रक्रिया है। हमारे होल्डिंग स्ट्रक्चर को हमारे मुख्य बिजनेस के साथ जोड़ा जा रहा है।" लगभग 17 वर्ष पहले फ्लिपकार्ट की शुरुआत ऑनलाइन बुक्स बेचने से हुई थी। कंपनी ने इसके बाद बहुत सी प्रोडक्ट कैटेगरी में विस्तार किया था। भारत में Amazon की यह राइवल है। फ्लिपकार्ट ने 2011 में अपनी होल्डिंग कंपनी को सिंगापुर में शिफ्ट किया था। लगभग सात वर्ष पहले अमेरिकी रिटेल कंपनी Walmart ने फ्लिपकार्ट में बड़ी हिस्सेदारी खरीदी थी। वॉलमार्ट को इसके साथ डिजिटल पेमेंट्स कंपनी PhonePe का भी मालिकाना हक मिला था। PhonePe में तब कंट्रोलिंग स्टेक फ्लिपकार्ट के पास था। 

लगभग तीन वर्ष पहले PhonePe ने फ्लिपकार्ट से अलग होकर अपना हेडक्वार्टर सिंगापुर से भारत में शिफ्ट किया था। इससे वॉलमार्ट को लगभग एक अरब डॉलर का टैक्स चुकाना पड़ा था। वॉलमार्ट की योजना अगले कुछ वर्षों में फ्लिपकार्ट और PhonePe दोनों कंपनियों की लिस्टिंग कराने की है। पिछले वर्ष वॉलमार्ट के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, Dan Bartlett ने बताया था कि PhonePe ने भारत में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टिंग की तैयारी शुरू कर दी है। 

देश में ई-कॉमर्स का मार्केट 2028 तक बढ़कर 160 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। विदेशी निवेश से जुड़े कानून के उल्लंघन की वजह से एमेजॉन और फ्लिपकार्ट के खिलाफ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट (ED) की जांच का दायरा भी बढ़ा है। इन कंपनियों का कहना है कि वे देश के कानूनों का पालन करती हैं। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों से ED इन कंपनियों के खिलाफ आरोपों की जांच कर रहा है। इन कंपनियों पर चुनिंदा सेलर्स के जरिए गुड्स की इन्वेंटरी पर नियंत्रण रखने का आरोप लगा था। देश के कानून के तहत, विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी वेबसाइट के जरिए बिक्री वाले प्रोडक्ट्स की इन्वेंटरी नहीं रख सकती और ये केवल सेलर्स के एक मार्केटप्लेस के तौर पर ऑपरेट कर सकती हैं। 
 
 

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