पिछले कुछ महीनों में इलेक्ट्रिक बसों के इस्तेमाल में तेजी आई है। ई-मोबिलिटी से जुड़े ब्रांड NueGo ने अपनी इंटर-सिटी इलेक्ट्रिक बसों की सर्विसेज का दायरा बढ़ाते हुए इसमें पांच शहरों को जोड़ा है। इसकी शुरुआत दक्षिण भारत में कर्नाटक और तेलंगाना से की गई है। इन इलेक्ट्रिक बसों में लाइव कोच ट्रैकिंग, ड्रॉप पॉइंट जियो-लोकेशन और CCTV जैसे फीचर्स होंगे।
ये बसें जल्द ही हैदराबाद-सूर्यापेट-विजयवाडा और बेंगलुरु-चितूर-तिरुपति रूट्स पर चलेंगी। GreenCell Mobility के ई-मोबिलिटी कोच ब्रांड NueGo की बसें इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल इंस्पेक्शंस सहित 25 सेफ्टी चेक से गुजरती हैं। प्रत्येक ट्रिप से पहले बस को सैनिटाइज किया जाता है और ड्राइवर्स का ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट होता है। NueGo के चुनिंदा शहरों में प्रीमियम लाउंज भी मौजूद हैं। इनमें कस्टमर्स की सहायता और लगेज को रखने की
सर्विसेज के अलावा फूड और बेवरेज की भी पेशकश की जाती है। GreenCell Mobility के डायरेक्टर Satish Mandhana ने बताया, "NueGo का लक्ष्य देश भर में इंटर-सिटी रूट्स पर पर्यावरण के अनुकूल पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन का इस्तेमाल बढ़ाना है। दक्षिण भारत के शहरों में हमारी सर्विस की शुरुआत के साथ हम कस्टमर्स को एक अच्छा ट्रैवल एक्सपीरिएंस देना चाहते हैं।" फर्म की योजना 350 इलेक्ट्रिक बसों के साथ 30 शहरों में मौजूदगी की है।
हाल ही में कर्नाटक ने भी इस दशक के अंत तक राज्य में सभी बसों को
इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करने की घोषणा की थी। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कर्नाटक पिछले वर्ष के अंत से 12 वर्षों के लिए 90 इलेक्ट्रिक बसें चला रहा है। लगभग तीन महीने पहले दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के बेड़े में 1,500 लो फ्लोर इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की स्वीकृति दी थी।
कर्नाटक के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर B Sriramulu ने विधानसभा में बताया कि राज्य ने अभी तक कोई इलेक्ट्रिस बस नहीं खरीदी है। इन बसों को कॉन्ट्रैक्ट पर चलाया जा रहा है। कर्नाटक जल्द ही बसों को इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में कन्वर्ट करेगा। उन्होंने डीजल की बढ़ती कीमतों पर बताया कि डीजल बसों को चलाने का खर्च 68.53 रुपये प्रति किलोमीटक होता है, जबकि कॉन्ट्रैक्ट पर चलने वाली इलेक्ट्रिक बसों की कॉस्ट 64.67 रुपये प्रति किलोमीटर है। राज्य ने केंद्र सरकार की FAME II स्कीम के तहत 300 इलेक्ट्रिक बसों का ऑर्डर दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने भी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं। हाल ही में राजस्थान सरकार ने EV खरीदने वालों को ग्रांट देने वाली एक नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू की है। इसके तहत राज्य सरकार ने EV की खरीद के लिए 40 करोड़ रुपये के योगदान को स्वीकृति दी है।
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