देश के कुछ राज्यों में इलेक्ट्रिक बसों की शुरुआत के बाद कर्नाटक ने भी इस दशक के अंत तक राज्य में सभी बसों को इलेक्ट्रिक में कन्वर्ट करने की योजना बनाई है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत कर्नाटक पिछले वर्ष के अंत से 12 वर्षों के लिए 90 इलेक्ट्रिक बसें चला रहा है। लगभग तीन महीने पहले दिल्ली सरकार ने भी दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (DTC) के बेड़े में 1,500 लो फ्लोर इलेक्ट्रिक बसों को शामिल करने की स्वीकृति दी थी।
कर्नाटक के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर B Sriramulu ने विधानसभा में बताया कि राज्य ने अभी तक कोई इलेक्ट्रिस बस नहीं खरीदी है। इन बसों को कॉन्ट्रैक्ट पर चलाया जा रहा है। कर्नाटक जल्द ही बसों को
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में कन्वर्ट करेगा। उन्होंने डीजल की बढ़ती कीमतों पर बताया कि डीजल बसों को चलाने का खर्च 68.53 रुपये प्रति किलोमीटक होता है, जबकि कॉन्ट्रैक्ट पर चलने वाली इलेक्ट्रिक बसों की कॉस्ट 64.67 रुपये प्रति किलोमीटर है। राज्य ने केंद्र सरकार की FAME II स्कीम के तहत 300 इलेक्ट्रिक बसों का ऑर्डर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार ने भी इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं। हाल ही में राजस्थान सरकार ने EV खरीदने वालों को ग्रांट देने वाली एक नई इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी लागू की है। इसके तहत राज्य सरकार ने EV की खरीद के लिए 40 करोड़ रुपये के योगदान को स्वीकृति दी है।
इस
पॉलिसी का उद्देश्य राज्य में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या बढ़ाना है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य के बजट में इस पॉलिसी की घोषणा की है। राज्य सरकार ने राजस्थान इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी (REVP) लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। इस पॉलिसी के ड्राफ्ट को कुछ महीने पहले स्वीकृति दी गई थी। EV की खरीद को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य सरकार स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (SGST) में छूट देगी। देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से भी इंसेंटिव दिए जा रहे हैं। इस मार्केट में कुछ विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनियां भी अपने EV मॉडल लॉन्च कर रही हैं। हालांकि, सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक कार मेकर टेस्ला ने इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट नहीं मिलने के कारण भारत में अपना बिजनेस शुरू करने की योजना टाल दी है। टेस्ला ने केंद्र सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी को कम करने की मांग की थी लेकिन सरकार ने ऐसा करने से मना कर दिया था।
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