साउंड की पावर वाला बैटरीलेस अंडरवॉटर कैमरा खोलेगा समुद्र के रहस्य

अमेरिकी इंजीनियर्स की एक टीम ने ऐसा अंडरवॉटर कैमरा डिवेलप किया है जिसके लिए बैटरी की जरूरत नहीं है

साउंड की पावर वाला बैटरीलेस अंडरवॉटर कैमरा खोलेगा समुद्र के रहस्य

पावर सोर्स की जरूरत नहीं होने के कारण इस कैमरा का कई सप्ताह तक इस्तेमाल हो सकता है

ख़ास बातें
  • यह कैमरा साउंड की पावर से चलता है
  • अन्य अंडरसी कैमरों की तुलना में लगभग एक लाख गुना एनर्जी एफिशिएंट है
  • यह पानी के अंदर अंधेरे में भी कलर इमेजेज सकता है
विज्ञापन
पिछले कई दशकों के समुद्र के अंदर जीवों और पौधों की प्रजातियों के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है। समुद्र के अंदर रहस्यों का पता लगाने के लिए अमेरिकी इंजीनियर्स की एक टीम ने ऐसा अंडरवॉटर कैमरा डिवेलप किया है जिसके लिए बैटरी की जरूरत नहीं है। यह साउंड की पावर से चलता है और अन्य अंडरसी कैमरों की तुलना में लगभग एक लाख गुना एनर्जी एफिशिएंट है। यह पानी के अंदर अंधेरे में भी कलर इमेजेज सकता है और पानी के वायरलेस तरीके से इमेज डेटा को ट्रांसमिट करता है।

यह कैमरा साउंड वेव्स से मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में कन्वर्ट करता है जिससे इमेजिंग और कम्युनिकेशंस इक्विपमेंट को पावर मिलती है। इमेज डेटा को कैप्चर और एनकोड करने के बाद, कैमरा साउंड वेव्स का इस्तेमाल एक रिसीवर को डेटा भेजने के लिए करता है जिससे इमेज रिकंस्ट्रक्ट की जाती है। पावर सोर्स की जरूरत नहीं होने के कारण इस कैमरा का कई सप्ताह तक इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को इससे नई प्रजातियों की खोज करे के लिए समुद्र के दूरदराज के हिस्सों में जाने में सुविधा होगी। इसका इस्तेमाल समुद्र में प्रदूषण की इमेजेज लेने या एक्वाकल्चर फार्म्स में मछलियों की ग्रोथ की निगरानी के लिए भी हो सकता है। 

इस प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियर्स ने बताया, "हम क्लाइमेट मॉडल्स बना रहे हैं लेकिन हमारे पास समुद्र के 95 प्रतिशत से अधिक हिस्से का डेटा नहीं है। इस टेक्नोलॉजी से क्लाइमेट मॉडल्स को अधिक सटीक बनाने में मदद मिल सकती है।। इससे यह समझने में आसानी होगी कि पानी के अंदर की जीवों पर क्लाइमेट चेंज का कैसा असर हो रहा है।" कैमरा पिजोइलेक्ट्रिक मैटीरियल्स से बने ट्रांसड्यूसर्स से पावर हासिल करता है। इन ट्रांसड्यूसर्स को कैमरे के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है। इमेज डेटा को कैप्चर करने के बाद इसे बिट्स के तौर पर एनकोड कर एक रिसीवर को हर बार एक बिट में भेजा जाता है। 

इस प्रोसेस को 'अंडरवॉटर बैकस्कैटर' कहा जाता है। रिसीवर पानी के जरिए साउंड वेव्स को कैमरा तक भेजता है, जो उन वेव्स को रिफ्लेक्ट करने के लिए एक मिरर के तौर पर काम करता है। इमेज ब्लैक और व्हाइट दिखती है और प्रत्येक इमेज के व्हाइट हिस्से में रेड, ग्रीन या ब्लू कलर की लाइट रिफ्लेक्ट होती है। इमेज डेटा को पोस्ट प्रोसेसिंग में जोड़ने पर एक कलर इमेज को रिकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है। 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

आकाश आनंद

Gadgets 360 में आकाश आनंद डिप्टी न्यूज एडिटर हैं। उनके पास प्रमुख ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स के मार्केट में चैम्पियन बनी Bajaj Auto
  2. I4C की मदद से धोखाधड़ी वाली इंटरनेशनल कॉल्स में हुई 97 प्रतिशत की कमी
  3. MG Motor की Windsor EV ने मार्च में बनाया सेल्स का रिकॉर्ड
  4. Garmin Vivoactive 6 स्मार्टवॉच 11 दिनों के बैटरी बैकअप, 80 से ज्यादा स्पोर्ट्स मोड्स के साथ हुई लॉन्च, जानें कीमत
  5. Rs 1 लाख के Samsung Galaxy S24+ को आधी कीमत में खरीदने का मौका, यहां जानें पूरी डील
  6. बिटकॉइन खरीदने के लिए गोल्ड का रिजर्व बेच सकती है अमेरिकी सरकार
  7. भारत में एक और TV ब्रांड 10 अप्रैल को करेगा एंट्री
  8. Vivo का V50e 10 अप्रैल को होगा भारत में लॉन्च, 50 मेगापिक्सल का प्राइमरी कैमरा
  9. HMD ने लॉन्च किए म्यूजिक कंट्रोल्स वाले 130 Music और 150 Music फीचर फोन, कीमत Rs 1,899 से शुरू
  10. Jio ने 5G डाउनलोड और अपलोड स्पीड में मारी बाजी, आया टॉप पर
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »