पिछले कई दशकों के समुद्र के अंदर जीवों और पौधों की प्रजातियों के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही है। समुद्र के अंदर रहस्यों का पता लगाने के लिए अमेरिकी इंजीनियर्स की एक टीम ने ऐसा अंडरवॉटर कैमरा डिवेलप किया है जिसके लिए बैटरी की जरूरत नहीं है। यह साउंड की पावर से चलता है और अन्य अंडरसी कैमरों की तुलना में लगभग एक लाख गुना एनर्जी एफिशिएंट है। यह पानी के अंदर अंधेरे में भी कलर इमेजेज सकता है और पानी के वायरलेस तरीके से इमेज डेटा को ट्रांसमिट करता है।
यह कैमरा साउंड वेव्स से मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिक एनर्जी में कन्वर्ट करता है जिससे इमेजिंग और कम्युनिकेशंस इक्विपमेंट को पावर मिलती है। इमेज डेटा को कैप्चर और एनकोड करने के बाद, कैमरा साउंड वेव्स का इस्तेमाल एक
रिसीवर को डेटा भेजने के लिए करता है जिससे इमेज रिकंस्ट्रक्ट की जाती है। पावर सोर्स की जरूरत नहीं होने के कारण इस कैमरा का कई सप्ताह तक इस्तेमाल किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को इससे नई प्रजातियों की खोज करे के लिए समुद्र के दूरदराज के हिस्सों में जाने में सुविधा होगी। इसका इस्तेमाल समुद्र में प्रदूषण की इमेजेज लेने या एक्वाकल्चर फार्म्स में मछलियों की ग्रोथ की निगरानी के लिए भी हो सकता है।
इस प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियर्स ने बताया, "हम क्लाइमेट मॉडल्स बना रहे हैं लेकिन हमारे पास समुद्र के 95 प्रतिशत से अधिक हिस्से का डेटा नहीं है। इस टेक्नोलॉजी से क्लाइमेट मॉडल्स को अधिक सटीक बनाने में मदद मिल सकती है।। इससे यह समझने में आसानी होगी कि पानी के अंदर की जीवों पर क्लाइमेट चेंज का कैसा असर हो रहा है।"
कैमरा पिजोइलेक्ट्रिक मैटीरियल्स से बने ट्रांसड्यूसर्स से पावर हासिल करता है। इन ट्रांसड्यूसर्स को कैमरे के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है। इमेज डेटा को कैप्चर करने के बाद इसे बिट्स के तौर पर एनकोड कर एक रिसीवर को हर बार एक बिट में भेजा जाता है।
इस प्रोसेस को 'अंडरवॉटर बैकस्कैटर' कहा जाता है। रिसीवर पानी के जरिए साउंड वेव्स को कैमरा तक भेजता है, जो उन वेव्स को रिफ्लेक्ट करने के लिए एक मिरर के तौर पर काम करता है। इमेज ब्लैक और व्हाइट दिखती है और प्रत्येक इमेज के व्हाइट हिस्से में रेड, ग्रीन या ब्लू कलर की लाइट रिफ्लेक्ट होती है। इमेज डेटा को पोस्ट प्रोसेसिंग में जोड़ने पर एक कलर इमेज को रिकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है।