बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनियों में शामिल Tesla को भारत में बिजनेस शुरू करने के लिए विशेष छूट नहीं दी जाएगी। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि देश के कानून और टैरिफ से जुड़े नियम इंटरनेशनल EV कंपनियों को दुनिया की इस सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी में बेस बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मिनिस्टर, Piyush Goyal ने कहा कि सरकार किसी विशेष कंपनी या उसके हितों के लिए अपनी पॉलिसी में बदलाव नहीं करेगी। उनका कहना था, "सरकार किसी विशेष कंपनी के लिए पॉलिसी में बदलाव नहीं करती। किसी को भी डिमांड करने की छूट है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि सरकार उस डिमांड के आधार पर फैसला करेगी।" देश में फैक्टरी लगाने के लिए टेस्ला ने शुरुआत में इम्पोर्ट टैरिफ में छूट देने की मांग की है। गोयल ने बताया, "हम बहुत से उपायों पर कार्य कर रहे हैं। इसके लिए मंत्रालयों और स्टेकहोल्डर्स के साथ चर्चा की जा रही है। हम यूरोप से लेकर अमेरिका तक के संभावित इनवेस्टर्स के साथ बातचीत कर रहे हैं।"
देश में कम्प्लीटली बिल्ड यूनिट्स (CBU) के तौर पर इम्पोर्ट होने वाली कारों पर 60 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक कस्टम्स ड्यूटी लगती है। पिछले वर्ष एक रिपोर्ट में बताया गया था कि अगर सरकार 12,000 व्हीकल्स के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी को घटाती है तो टेस्ला 50 करोड़ डॉलर तक इनवेस्टमेंट करने के लिए तैयार है। सरकार की ओर से अगर 30,000 व्हीकल्स पर इस टैक्स में कमी की जाती है तो
टेस्ला दो अरब डॉलर तक इनवेस्टमेंट कर सकती है।
इस वर्ष जनवरी में पहली बार इलेक्ट्रिक कारों की इंटरनेशनल सेल्स वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 69 प्रतिशत बढ़कर 10 लाख यूनिट्स से अधिक पर पहुंच गई थी। पिछले वर्ष जनवरी में यह 6,60,000 यूनिट्स की थी। मार्केट रिसर्च फर्म Rho Motion ने बताया था कि जनवरी में यूरोपियन मार्केट्स में
EV की सेल्स 92,741 यूनिट्स की थी। चीन में यह आंकड़ा (प्लग-इन हाइब्रिड को मिलाकर) सात लाख यूनिट्स से अधिक का था। यह एक महीना पहले की तुलना में 37 प्रतिशत की गिरावट है। हालांकि. वर्ष-दर-वर्ष आधार पर इसमें लगभग 79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ कारणों से इस वर्ष EV की सेल्स में ग्रोथ घट सकती है।