पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की बिक्री तेजी से बढ़ी है। EV के बड़े मार्केट्स में शामिल अमेरिका में पर्यावरण के अनूकल माने जाने वाले इन व्हीकल्स की सेल्स ने पहली बार 10 लाख यूनिट्स से अधिक की बिक्री का आंकड़ा पार किया है। हालांकि, चीन की तुलनना में यह कम है।
अमेरिका की नेशनल ऑटोमोबाइल डीलर एसोसिएशन के डेटा के अनुसार, इस वर्ष नवंबर तक
EV की सेल्स वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 50 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 10,07,984 यूनिट्स की रही। EV की सेल्स बढ़ने के पीछे इंसेंटिव्स और नए और अपडेटेड व्हीकल्स के लॉन्च बड़े कारण हैं। अमेरिका में इनफ्लेशन रिडक्शन एक्ट से EV में ऑटोमोबाइल कंपनियों का इनवेस्टमेंट बढ़ा है। इसके साथ ही कस्टमर्स की ओर से डिमांड में भी तेजी आई है। बहुत से अन्य देशों में भी इस सेगमेंट में बिक्री बढ़ रही है। अमेरिका में Tesla का EV के मार्केट में पहला स्थान बरकरार है। पिछले सप्ताह कंपनी ने Cybertruck को लॉन्च किया था।
इसके अलावा Hyundai, Kia, Rivian, Lucid, Ford और GM भी इस मार्केट में अपनी मौजूदगी बढ़ाने की योजना बना रही हैं।
टेस्ला की भारत में भी बिजनेस शुरू करने की तैयारी है। केंद्र सरकार के साथ कंपनी के एग्रीमेंट के लिए बातचीत अंतिम दौर में है। इसके तहत टेस्ला अगले वर्ष से देश में अपनी इलेक्ट्रिक कारों का इम्पोर्ट कर सकती है। इसके बाद टेस्ला एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाएगी।
अगले वर्ष की शुरुआत में होने वाले वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट में कंपनी की देश के मार्केट में एंट्री को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है। हालांकि, टेस्ला ने अपने प्लांट के लिए लोकेशन को तय नहीं किया है। कंपनी इसके साथ ही देश से कंपोनेंट्स की खरीदारी को भी बढ़ाएगी। कंपनी की इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की कॉस्ट को घटाने के लिए देश में बैटरी बनाने की भी योजना है। हाल ही में ट्रेड मिनिस्टर Piyush Goyal ने बताया था, "पिछले वर्ष टेस्ला ने देश से लगभग एक अरब डॉलर के कंपोनेंट्स खरीदे थे। इस वर्ष टेस्ला का टारगेट 1.7-1.9 अरब डॉलर के कंपोनेंट्स खरीदने का है।" टेस्ला के सीनियर एग्जिक्यूटिव्स की देश में फैक्टरी लगाने की योजना के बारे में गोयल के साथ मीटिंग भी हुई थी। कंपनी ने लगभग दो वर्ष पहले बेंगलुरु में अपनी सब्सिडियरी को रजिस्टर्ड कराया था।