पिछले कुछ वर्षों में क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े स्कैम के मामले बढ़े हैं। हिमाचल प्रदेश के हजारों लोगों के साथ ऐसा ही एक मामला हुआ है। इस स्कैम की शुरुआत 2018 में हुई थी। इसमें 200 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई है। इस मामले में एक गिरोह ने लोगों को कम अवधि में अधिक रिटर्न का लालच देकर क्रिप्टो में रकम लगाने के लिए कहा था।
यह एक पॉन्जी स्कीम की तरह था और इसमें शुरुआती लोगों को अन्य लोगों को इसमें शामिल करने के लिए कहा गया था। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में स्वतंत्र विधायक होशियार सिंह ने इस मामले को उठाया था। उन्होंने बताया कि इसमें कांगड़ा और हमीरपुर के बहुत से लोगों से 200 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई है। इस मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम बनाई गई है। इस बारे में पुलिस ने बताया कि इस
स्कैम से जुड़े कुछ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, इस गिरोह का सरगना फरार है। इन धोखेबाजों ने अपनी स्कीम पर कब्जा रखने के लिए गलत जानकारी, धोखाधड़ी और धमकियों का इस्तेमाल किया था। वे KRO और DGT जैसे अपने कॉइन्स के प्राइसेज में गड़बड़ी करते थे।
इस स्कीम में लोगों से शुरुआती एक्टिवेशन फीस ली जाती थी और उन्हें अधिक रिटर्न का लालच दिया जाता था। इस स्कैम के लिए तीन से चार क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल किया गया था।
क्रिप्टोकरेंसीज के जरिए लोगों को ठगने के लिए इस गिरोह ने एक पॉन्जी स्कीम जैसे तरीके का इस्तेमाल किया था जिसमें लोगों को शुरुआत में मुनाफा दिया जाता है और बाद में स्कीम से जुड़ने वाले लोगों की संख्या बढ़ने पर रकम हड़प ली जाती है।
क्रिप्टोकरेंसीज एक डिजिटल करेंसी होती है जिसका डिजाइन एक ब्लॉकचेन बेस्ड कंप्यूटर नेटवर्क के जरिए एक्सचेंज के मीडियम के तौर पर किया जाता है। यह नेटवर्क सरकार या बैंक जैसी किसी सेंट्रल अथॉरिटी पर निर्भर नहीं होता। इस मामले में धोखेबाजों ने अपने कॉइन्स की लिस्टिंग के लिए जाली वेबसाइट बनाई थी और वे कॉइन्स के प्राइसेज में गड़बड़ी करते थे। इसमें आरोपियों ने नए कॉइन्स और इनवेस्टमेंट प्लान पेश विभिन्न फर्मों के तहत पेश किए थे। एक नया कॉइन पेश करने पर वे इसे प्रॉफिट कमाने का एक नया जरिया बताते थे। पुलिस ने बताया कि इस मामले में उन्हें बहुत से लोगों से शिकायतें मिली थी।