फाइनेंशियल सर्विसेज से जुड़ी प्रमुख ग्लोबल कंपनी Mastercard ने इंडोनेशिया में बिजनेस बढ़ाने के लिए क्रिप्टो गेटवे प्रोवाइडर Fasset के साथ पार्टनरशिप की है। इसके तहत इंडोनेशिया में क्रिप्टो बिजनेस को बढ़ाने के लिए डिजिटल सॉल्यूशंस डिवेलप किए जाएंगे। इंडोनेशिया में जनसंख्या का बड़ा हिस्सा फाइनेंशियल सिस्टम में शामिल नहीं है और इस पार्टनरशिप से फाइनेंशियल इनक्लूजन को बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
Mastercard ने
कहा, "डिजिटल एसेट्स पर निर्भर लोगों की संख्या बढ़ रही है। इस वजह से सरकारी और प्राइवेट सेक्टर्स में ऐसी फर्मों को मिलकर ऐसे सॉल्यूशंस बनाने की जरूरत है जिनसे फाइनेंशियल इनक्लूजन के लिए नए अवसर मिल सकें।" एशिया में क्रिप्टो सेगमेंट तेजी से बढ़ रहा है। पिछले कुछ वर्षों में भारत, जापान, वियतनाम, चीन, सिंगापुर, थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों में डिजिटल एसेट्स के बिजनेस में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। प्रोफेशनल सर्विस कंपनी Accenture की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एशिया में थाईलैंड और इंडोनेशिया के लोगों के पास सबसे अधिक डिजिटल एसेट्स हैं।
हाल ही में Mastercard ने कार्ड पेमेंट्स से नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) खरीदने की सुविधा का दायरा बढ़ाया है। इसके लिए मास्टरकार्ड ने मेटावर्स फर्म Sandbox, Immutable X, Spring और Nifty Gateway और कुछ अन्य फर्मों के साथ पार्टनरशिप की है।
NFT में Web3 कम्युनिटी के साथ ही मेटावर्स से जुड़ी इंडस्ट्री की दिलचस्पी भी बढ़ रही है। मास्टरकार्ड के एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट Raj Dhamodharan ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया था, "मास्टरकार्ड के कार्ड्स का इस्तेमाल कर लोगों को NFT खरीदने का विकल्प देने के लिए हम इन फर्मों के साथ काम कर रहे हैं। दुनिया भर में लगभग 2.9 अरब मास्टकार्ड के कार्ड्स हैं और इसका NFT से जुड़े इकोसिस्टम पर बड़ा असर हो सकता है।" मास्टरकार्ड का लक्ष्य NFT खरीदने वालों के लिए क्रिप्टोकरेंसीज का इस्तेमाल करने की जरूरत को समाप्त करना है।
NFT में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से यूनीक आइटम्स के टोकन्स को ऑथेंटिकेट किया जाता है जो दोबारा प्रोड्यूस किए जा सकने वाले डिजिटल एसेट्स से जुड़े होते हैं। इनमें आर्ट, म्यूजिक, इन-गेम आइटम्स और वीडियो शामिल हो सकते हैं। इनकी ऑनलाइन ट्रेडिंग की जा सकती है लेकिन इन्हें डुप्लिकेट नहीं किया जा सकता। NFT की लोकप्रियता में भी बढ़ोतरी हो रही है। स्पोर्ट्स क्लब, ऑटोमोबाइल कंपनियां और पॉप स्टार्स भी इस कारोबार में उतर रहे हैं।