Bitcoin के लॉन्ग टर्म होल्डर्स के पास प्रॉफिट वाली कुल सप्लाई का 90 प्रतिशत

हाल के महीनों में बिटकॉइन के सर्कुलेशन में लॉन्ग-टर्म होल्डर्स का दबदबा बढ़ा है। बिटकॉइन की सर्कुलेटिंग सप्लाई 19,061,762 कॉइन्स की है

Bitcoin के लॉन्ग टर्म होल्डर्स के पास प्रॉफिट वाली कुल सप्लाई का 90 प्रतिशत

प्रॉफिट में सप्लाई का मतलब है बिटकॉइन की कुल संख्या जो मार्केट में प्रॉफिट में है

ख़ास बातें
  • बिटकॉइन के सर्कुलेशन में लॉन्ग-टर्म होल्डर्स का दबदबा बढ़ा है
  • शॉर्ट-टर्म होल्डर्स के पास प्रॉफिट वाली सप्लाई का लगभग 10 प्रतिशत है
  • हाल के महीनों में बिटकॉइन के प्राइसेज में गिरावट आई है
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मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin के प्राइसेज में पिछले कुछ महीनों से गिरावट है। इसके पीछे वैश्विक मंदी और क्रिप्टो मार्केट में बिकवाली जैसे कारण हैं। हालांकि, बिटकॉइन के लॉन्ग-टर्म होल्डर्स के पास प्रॉफिट में बिटकॉइन की कुल सप्ताह का 90 प्रतिशत है।

Glassnode की रिपोर्ट में बताया गया है कि हाल के महीनों में बिटकॉइन के सर्कुलेशन में लॉन्ग-टर्म होल्डर्स का दबदबा बढ़ा है। बिटकॉइन की सर्कुलेटिंग सप्लाई 19,061,762 कॉइन्स की है। प्रॉफिट में सप्लाई का मतलब है बिटकॉइन की कुल संख्या जो मार्केट में प्रॉफिट में है। इसे प्रत्येक बिटकॉइन की अंतिम बिक्री के प्राइस के अनुसार कैलकुलेट किया जाता है। अगर बिटकॉइन का मौजूदा प्राइस इसकी खरीदारी के रेट से अधिक है तो उसे प्रॉफिट में माना जाता है। बिटकॉइन के शॉर्ट-टर्म होल्डर्स के पास अभी इसकी प्रॉफिट वाली सप्लाई का लगभग 10 प्रतिशत है। 

बिटकॉइन के मार्केट कैपिलाइजेशन और बाकी की क्रिप्टोकरेंसी मार्केट के अनुसार इसकी रेशो 44 प्रतिशत के साथ सात महीने के उच्च स्तर पर है। इसका कारण बिटकॉइन के प्राइस में कमी आना है। इस रिपोर्ट को प्रकाशित करते समय बिटकॉइन का प्राइस Gadgets 360 के प्राइस ट्रैकर के अनुसार 31,879 डॉलर पर था। इनवेस्टमेंट के एक टूल के अलावा बिटकॉइन के अन्य इस्तेमाल पर भी विचार किया जा रहा है। उदाहरण के लिए, फाइनेंशियल सर्विसेज फर्म डेलॉयट की ओर से मार्च में की गई एक स्टडी से पता चला था कि बिटकॉइन का इस्तेमाल डिजिटल सामान्य करेंसी या सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के लिए एक कम कॉस्ट वाला और अधिक सुरक्षित इकोसिस्टम बनाने में किया जा सकता है।

CBDC एक ब्लॉकचेन पर बेस्ड पेमेंट सॉल्यूशन होता है, जिस पर सेंट्रल बैंक का कंट्रोल रहता है। यह क्रिप्टोकरेंसी की तरह काम करता है लेकिन  क्रिप्टोकरेंसीज की तरह CBDC में वोलैटिलिटी और अन्य रिस्क नहीं होते। CBDC पर ट्रांजैक्शंस को सरकार की ओर से ट्रैक किया जा सकता है। भारत में इस फाइनेंशियल ईयर में CBDC लॉन्च की जा सकती है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कहा है कि CBDC को मौजूदा मॉनेटरी पॉलिसी के साथ ही पेमेंट सिस्टम्स के साथ भी जोड़ा जाएगा। अमेरिका में फेडरल रिजर्व CBDC लॉन्च करने की संभावना तलाश रहा है। रूस ने डिजिटल रूबल कही जाने वाली CBDC की टेस्टिंग शुरू कर दी है। इस वर्ष की शुरुआत में चीन ने विंटर ओलंपिक्स के दौरान डिजिटल युआन का परीक्षण किया था। 
 
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