क्रिप्टो एक्सचेंज Coinbase की इस वर्ष की पहली तिमाही में कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम लगभग 44 प्रतिशत घटी है। एक्सचेंज के प्रमुख Brian Armstrong ने तिमाही रिजल्ट के बारे में कहा कि जनवरी से मार्च के बीच ट्रेडिंग वॉल्यूम 309 अरब डॉलर की रही, जो पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में लगभग 547 अरब डॉलर की ट्रेडिंग वॉल्यूम से काफी कम है। कॉइनबेस ने पहली तिमाही के लिए 1.5 अरब डॉलर के रेवेन्यू का लक्ष्य रखा, लेकिन इसकी तुलना में यह 1.17 अरब डॉलर का रेवेन्यू ही हासिल कर सका है।
हाल ही में भारत की यात्रा पर आए Armstrong ने कॉइनबेस के प्लेटफॉर्म पर एक फीचर को बंद करने का
कारण भी बताया। एक्सचेंज ने पिछले महीने घोषणा की थी कि भारत में यूजर्स डिजिटल पेमेंट्स के लिए UPI का इस्तेमाल कर क्रिप्टो एसेट्स को खरीद सकेंगे। हालांकि, इस फीचर के लिए सरकार ने स्वीकृति नहीं दी थी। इस वजह से कॉइनबेस के ऐप पर इसे बंद करना पड़ा था। Armstrong ने कहा, "रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से UPI का इस्तेमाल नहीं करने के लिए दबाव डाला जा रहा था। इस वजह से हमने इसे बंद किया था।"
हाल के डेटा के अनुसार, एक्सचेंज के प्लेटफॉर्म पर लगभग 92 लाख मासिक ट्रांजैक्टिंग यूजर्स (MTU) है। यह संख्या पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में लगभग 1.14 करोड़ यूजर्स की थी। इस वजह से कॉइनबेस का ट्रेडिंग वॉल्यूम, रेवेन्यू और MTU से जुड़ा टारगेट पूरा नहीं हो सका है। Coindesk ने एक
रिपोर्ट में बताया कि एक्सचेंज की योजना विदेश में एक्सपैंशन करने की है। हालांकि, इसे दूसरी तिमाही में यूजर्स की संख्या और ट्रेडिंग वॉल्यूम और घटने की आशंका है।
कॉइनबेस का कहना है, "हम अनिश्चताओं वाले मार्केट्स में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे पास लगभग एक दशक का एक्सपीरिएंस है और हम लंबी अवधि में ग्रोथ के लिए इससे सीख लेकर इनवेस्टमेंट करना जारी रखेंगे। एक्सचेंज को इस वर्ष संभावित एडजस्टेड EBITDA लॉस बढ़कर लगभग 50 करोड़ डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है। EBITDA का मतलब इंटरेस्ट, टैक्स, डेप्रिसिएशन और अमॉर्टाइजेशन से पहले प्रॉफिट होता है। कॉइनबेस ने भारत में भी अपने कारोबार को आगे बढ़ाने की तैयारी की है। एक्सचेंज का कहना है कि वह देश के नियमों के अनुसार कारोबार करने के लिए प्रतिबद्ध है।