सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें सरकार को व्हाट्सऐप समेत कई दूसरे सोशल मीडिया ऐप के कंटेट को एक्सेस करने के लिए प्राइवेट की मांगने का निर्देश देने की बात कही गई थी।
शीर्श अदालत के चीफ जस्टिस टी.एस. ठाकुर और जस्टिस ए.एम. खानविलकर ने याचिकाकर्ता सुधीर यादव से इसके लिए उचित अथॉरिटीज़ में जाने की बात कही।
सुधीर यादव हरियाणा के आरटीआई एक्टिविस्ट हैं और उनका कहना है कि उन्होंने व्हाट्सऐप पर बैन लगाने को नहीं कहा। बल्कि वो चाहते हैं कि सरकार व्हाट्सऐप और ऐसे दूसरे 20 एप्लिकेशन से उनके प्राइवेट की को साझा करने को कहे ताकि जरूरत के समय उनका इस्तेमाल किया जा सके।
उनके मुताबिक यह बिल्कुल वैसा ही है जैसा सरकार ने विस-ए-विस ब्लैकबेरी के समय किया था।
यादव ने कहा कि प्राइवेट की की अनुपस्थिति में सरकार को एक मैसेज एक्सेस करने में ही सालों लग जाएंगे। इस याचिका में कहा गया कि किसी व्हाट्सऐप मैसेज को डीक्रिप्ट करने के लिए 115, 792, 089, 237, 316, 195, 423, 570, 985, 008, 687, 907, 853, 269, 984, 665, 640, 564, 039, 457, 584, 007, 913, 129, 639, 935 जैसे भारी भरकम की कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल करना होगा जो एक सुपर कंप्यूटर के लिए भी असंभव है।
अपनी याचिका में, यादव ने कहा कि अगर कोई आतंकवादी या अपराधी व्हाट्सऐप पर चैट कर, देश को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाते हैं तो भारतीय खुफिया एजेंसिया जरूरी कार्यवाही करने के लिए उनकी बातचीत को टैप नहीं कर सकेंगी।
इसके अलावा याचिका में कहा गया कि दूसरे मैसेजिंग ऐप्लिकेशन जैसे हाइक, सिक्योर चैट, वाइबर जैसे कई ऐप्लिकेशन हाई इनक्रिप्शन का इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
27 साल के यादव ने कहा कि याचिका दायर करने से पहले उन्होंने टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) और मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशंस एंड आईटी को भी पत्र लिखा था लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला।
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