अमेरिकी स्मार्टफोन और टेक कंपनी Apple ने अपने ऐप स्टोर से किसी ऐप को हटाने के कारण बताने का फैसला किया है। कंपनी पर आरोप लग रहा था कि उसके ऐप को हटाने के प्रोसेस की पूरी जानकारी नहीं मिलने से चीन और रूस जैसे देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खतरा है। कंपनी के कुछ शेयरहोल्डर्स को Apple ने इसे लेकर सहमति दी है।
पिछले वर्ष कंपनी के लगभग एक-तिहाई शेयरहोल्डर्स ने विदेश में सरकारों के साथ कंपनी की बातचीत में पारदर्शिता बढ़ाने से जुड़ा एक रिजॉल्यूशन पास किया था। एपल ने चीन और रूस जैसे देशों में बड़ी संख्या में ऐप्स को ऐप स्टोर से हटाया था, जिसके बाद कंपनी के इस प्रोसेस को लेकर सवाल उठे थे। Financial Times की एक
रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी से यह बताने को कहा गया था कि उसने चीन में लगभग दो वर्ष पहले कुछ ऐप्स को ऐप स्टोर से क्यों हटाया था। एपल ने फैसला किया है कि वह इस बारे में जानकारी देगी कि किस देश से कितने ऐप्स को ऐप स्टोर से हटाने के निवेदन मिले हैं। इसके साथ ही यह भी बताया जाएगा कि ये निवेदन कानूनी उल्लंघनों के कारण थे या नहीं और कंपनी ने इन पर सहमति दी है या नहीं।
कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को यह भी बताएगी कि ऐप स्टोर की गाइडलाइंस के उल्लंघन की वजह से किस देश में कितने ऐप्स को हटाया गया है। यह जानकारी एपल की ट्रांसपैरेंसी रिपोर्ट में दी जाएगी। इससे पहले एपल विदेश में सरकारों के निवेदन पर ऐप्स को हटाती रही है। चीन में कंपनी के ऐप स्टोर में एनक्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स या कई सोशल मीडिया ऐप्स नहीं हैं। भारत में भी ऐप स्टोर पर PUBG Mobile और Garena Free Fire सहित कई ऐप्स और गेम्स पर बैन लगाया गया है।
एपल ने पिछले वर्ष अप्रैल से दिसंबर के बीच भारत से 2.5 अरब डॉलर से अधिक के iPhones का एक्सपोर्ट किया है। यह पिछले वर्ष कंपनी के भारत से कुल एक्सपोर्ट का लगभग दोगुना है। इससे
एपल के चीन में मुश्किलों के कारण अपने डिवाइसेज के प्रोडक्शन को शिफ्ट करने में तेजी लाने का संकेत मिल रहा है। मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के पहले नौ महीनों में एपल के लिए कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरिंग करने वाली कंपनियों Foxconn और Wistron प्रत्येक ने देश से एक अरब डॉलर से अधिक के डिवाइसेज का एक्सपोर्ट किया है। पिछले वर्ष के अंत में चीन में फॉक्सकॉन की फैक्टरी में वर्कर्स के तोड़फोड़ करने और कोरोना की वजह से लगी पाबंदियों से आईफोन के प्रोडक्शन पर बड़ा असर पड़ा था।