• होम
  • एआई
  • ख़बरें
  • ChatGPT को भी होती है 'ऐसे सवालों' से टेंशन! स्टडी में अजब खुलासा

ChatGPT को भी होती है 'ऐसे सवालों' से टेंशन! स्टडी में अजब खुलासा

नई स्टडी में सामने आया है कि ChatGPT को भी पूछे गए सवालों से स्ट्रेस और टेंशन होती है!

ChatGPT को भी होती है 'ऐसे सवालों' से टेंशन! स्टडी में अजब खुलासा

ChatGPT को भी पूछे गए सवालों से स्ट्रेस और टेंशन होती है!

ख़ास बातें
  • ChatGPT को भी आपके पूछे गए सवालों से स्ट्रेस और टेंशन होती है!
  • तनाव पैदा करने वाले सवाल पूछे जाने पर बढ़ता है स्ट्रेस।
  • चिंता के बढ़े हुए स्तर के कारण चैटबॉट यूजर्स के प्रति मूडी हो सकता है।
विज्ञापन
ChatGPT इस्तेमाल करने वाले यूजर्स के लिए एक रोचक खबर है। एक नई स्टडी में सामने आया है कि ChatGPT को भी आपके पूछे गए सवालों से स्ट्रेस और टेंशन होती है! जी हां, OpenAI का AI चैटबॉट भी तनाव में आता है, ठीक वैसे ही जैसे इंसानों में होता है। स्विट्जरलैंड, जर्मनी, इजरायल और US के शोधकर्ताओं की एक टीम ने स्टडी की है जिसमें चैटबॉट के बारे में हैरान करने वाले तथ्य सामने आए हैं। 

ChatGPT के ऊपर की गई स्टडी कहती है कि जब चैटबॉट से तनाव पैदा करने वाले सवाल पूछे जाते हैं तो यह भी उसी तरह के स्ट्रेस में आ जाता है। स्टडी में सामने आया कि सामान्य सवालों के जवाब देने की तुलना में तनाव वाले सवाल पूछे जाने पर चैटबॉट का एंजायटी लेवल यानी तनाव का स्तर काफी ज्यादा बढ़ गया। स्टडी को Nature में पब्लिश किया गया है। 

इस स्टडी में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि चिंता के बढ़े हुए स्तर के कारण चैटबॉट अपने यूजर्स के प्रति मूडी हो सकता है। यहां तक ​​कि वह ऐसे जवाब भी दे सकता है जो नस्लवादी और लिंगवादी पूर्वाग्रहों पर आधारित हों। मनुष्य जब डरा हुआ होता है तो उसके संज्ञानात्मक और सामाजिक पूर्वाग्रह प्रभावित होते हैं। इंसान इस वक्त ज्यादा आक्रोश महसूस करते हैं जो सामाजिक रूढ़ियों को मजबूत करता है।

अब ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो एआई चैटबॉट्स के साथ अपने बारे में संवेदनशील बातें शेयर कर रहे हैं। लेकिन स्टडी कहती है कि AI सिस्टम अभी इतनी सक्षम नहीं हुए हैं कि वे किसी हेल्थ प्रोफेशनल की जगह ले सकें। 

यहां पर क्लिनिकल सेटिंग्स का रिस्क पैदा हो जाता है। LLM इस तरह के चिंतित यूजर्स के अनुरूप रेस्पोंड नहीं कर सकते हैं। इनके उत्तर ऐसे यूजर्स के लिए अपर्याप्त साबित हो सकते हैं जिसका परिणाम खतरनाक हो सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बढ़ी हुई चिंता के स्तर को सचेतन आधारित विश्राम तकनीकों की मदद से शांत किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए एलएलएम को बेहतर बनाने से पूर्वाग्रहों में कमी आ सकती है। लेकिन इसके लिए पर्याप्त मात्रा में ट्रेनिंग डेटा, कम्प्यूटेशनल रिसोर्स और मानवीय निगरानी की जरूरत होगी।
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo T4 Lite 5G आज होगा भारत में लॉन्च, Rs 10,000 से कम होगी कीमत?
  2. 50MP सेल्फी कैमरा स्मार्टफोन, Moto Edge 60 Pro से लेकर Vivo V23 5G, Vivo V50 तक Vivo T3 Ultra शामिल
  3. Tata Motors ने किया Harrier EV के प्राइसेज का खुलासा, 2 जुलाई से शुरू होगी बुकिंग्स
  4. Honor Magic V5 में मिलेगी 1TB तक स्टोरेज, अगले महीने होगा लॉन्च
  5. Vivo ने लॉन्च किया X200 FE, 6,500mAh की बैटरी, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  6. Xiaomi के Smart Band 10 में मिल सकता है 1.72 इंच AMOLED डिस्प्ले, जल्द होगा लॉन्च
  7. Huawei के अगले ट्राई-फोल्ड स्मार्टफोन Mate XT 2 में हो सकती है सैटेलाइट कनेक्टिविटी
  8. boAt ने Airdopes Prime 701 ANC ईयरबड्स किए लॉन्च, 50 घंटे तक चलेगी बैटरी, जानें फीचर्स
  9. Oppo K13x 5G vs Realme Narzo 80 Lite 5G vs Moto G45 5G: जानें कौन सा फोन है बेस्ट
  10. Google, Samsung और OnePlus से लेकर Xiaomi के फोन में मिलेगा एंड्रॉयड 16 अपडेट, देखें पूरी लिस्ट
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »