द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह आइलैंड व्हेल और सील के शिकार के लिए भी इस्तेमाल होता था। डिसेप्शन आइलैंड पर कुछ साइंटिफिक रिसर्च स्टेशंस भी हैं। हालांकि, इनमें से कुछ ज्वालामुखी में विस्फोटों के कारण नष्ट हो चुके हैं
इस ज्वालामुखी में विस्फोट से समुद्र के बड़े हिस्से का पानी तुरंत वाष्प बन गया था और आसमान की ओर राख, गैस और पांच लाख टन से ज्यादा वाष्प का एक मशरूम के आकार वाला बादल गया था
Volcanoes From Space : यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने एक वीडियो शेयर किया है। इसमें दुनिया के 13 ज्वालामुखी को दिखाया गया है, जिन्हें स्पेस से भी देखा जा सकता है।
Venus : नासा (Nasa) की एक स्टडी में कहा गया है कि शुक्र ग्रह कभी पृथ्वी की तरह ही पानी का संसार था, लेकिन वहां होने वाली बहुत अधिक ज्वालामुखीय गतिविधि ने इसे एक अम्लीय (Acidic) गर्म ग्रह में बदल दिया।
ऑस्ट्रेलिया से कुछ ही दूरी पर पानी के नीचे एक ज्वालामुखी फटा। विस्फोट के कुछ घंटों बाद दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में एक नया बेबी आइलैंड देखा गया है।
रिसर्चर्स ने कैलकुलेट किया है कि इस ज्वालामुखी विस्फोट से वायुमंडल में 5 करोड़ टन जल वाष्प फैल गया। इस वाष्पित पानी ने समताप मंडल में नमी की मात्रा में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
यह इतना शक्तिशाली फोर्स था कि इसने भाप बने पानी को पृथ्वी के 12 से 53 किलोमीटर में फैले स्ट्रेटोस्फीयर यानि समताप मंडल में भेज दिया, यह इतना पानी था कि जिससे ओलंपिक के आकार के 60 हजार के लगभग स्वीमिंग पूल को भरा जा सकता है।