दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित देश टोंगा (Tonga) में इस साल की शुरुआत में एक ज्वालामुखी (volcano) फट गया था। समुद्र के नीचे फटे इस ज्वालामुखी ने बड़े स्तर पर दबाव वाली लहरें पैदा की थीं। इनमें से कुछ पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरी थीं। 14 जनवरी की इस घटना के 8 महीने से अधिक समय के बाद भी वैज्ञानिक ज्वालामुखी विस्फोट के असर का विश्लेषण कर रहे हैं। वो पता लगा रहे हैं कि क्या यह हमारे ग्रह को गर्म कर सकता है। वैज्ञानिकों की रिसर्च में कुछ चौंकाने वाले अनुमान लगाए गए हैं।
लाइव साइंस की
रिपोर्ट के अनुसार, रिसर्चर्स ने कैलकुलेट किया है कि इस ज्वालामुखी विस्फोट से भारी मात्रा में राख और ज्वालामुखी गैसों के अलावा वायुमंडल में 5 करोड़ टन (45 मिलियन मीट्रिक टन) जल वाष्प फैल गया। यानी पानी भाप बनकर ऊपर चला गया। इस वाष्पित पानी ने ग्लोबल समताप मंडल (global stratosphere) में नमी की मात्रा में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी की है। एक स्टडी के अनुसार इससे समताप मंडल की कूलिंग और सतह के ताप यानी सर्फेस हीटिंग के चक्र में बदलाव आ सकता है और ये असर आने वाले महीनों तक जारी रह सकता है।
टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट 13 जनवरी को शुरू हुआ था और दो दिन बाद यह अपने पीक पर पहुंच गया था।
स्टडीज से पता चलता है कि यह पिछले 140 साल में सबसे बड़ा विस्फोट था। टोंगा की घटना की तुलना 1883 में इंडोनेशिया में हुए क्राकाटाऊ विस्फोट से की गई है। उस उस भयावह घटना में 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।
बड़े ज्वालामुखी विस्फोट आमतौर पर सल्फर डाइऑक्साइड को पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परतों में धकेल कर ग्रह को ठंडा कर देते हैं। 1991 में फिलीपींस में हुए ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले एरोसोल ने ग्लोबल टेंपरेचर को कम से कम एक साल के लिए 0.5 डिग्री सेल्सियस कम कर दिया था।
लेकिन टोंगा ज्वालामुखी पानी के नीचे फटा था और इसने समताप मंडल में ‘पर्याप्त मात्रा में पानी' भेजा है। यह पानी पृथ्वी की सतह से लगभग 50 किलोमीटर ऊपर 6 से 20 किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है। क्योंकि वायुमंडलीय जल वाष्प, सौर विकिरण को अवशोषित करता है और इसे गर्मी के रूप में दोबारा उत्सर्जित करता है, इसलिए टोंगा ज्वालामुखी विस्फोट की वजह से पृथ्वी की सतह के गर्म होने का अनुमान है। यह असर कई वर्षों तक नजर आ सकता है। हाल में एक
स्टडी में पता चला था कि इस विस्फोट ने इतना पानी समताप मंडल में भेज दिया था, जिससे ओलंपिक के आकार के लगभग 60 हजार स्वीमिंग पूल को भरा जा सकता है।