ज्वालामुखी का फटना बड़ी प्राकृतिक घटना होती है, जिसके प्रभाव कई महीनों बाद भी दिखाई देते हैं। कल ही एक रिपोर्ट में हमने पढ़ा था कि दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित देश टोंगा (Tonga) में इस साल के शुरुआत में समुद्र में फटे ज्वालामुखी से वायुमंडल में 5 करोड़ टन (45 मिलियन मीट्रिक टन) जल वाष्प फैल गया। यानी पानी भाप बनकर ऊपर चला गया। अब ऑस्ट्रेलिया से कुछ ही दूरी पर पानी के नीचे एक ज्वालामुखी फटने की जानकारी मिल रही है। बताया जाता है कि ज्वालामुखी विस्फोट के कुछ घंटों बाद दक्षिण-पश्चिम प्रशांत महासागर में एक नया बेबी आइलैंड (baby island) देखा गया है।
इस महीने की शुरुआत से ही ‘सेंट्रल टोंगा द्वीप समूह' में स्थित होम रीफ ज्वालामुखी ने लावा, भाप और राख उगलनी शुरू कर दी थी। नासा (Nasa) की
अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने बताया है कि विस्फोट के ठीक 11 घंटे बाद एक नया द्वीप पानी की सतह के ऊपर उभरा।
अपनी प्रेस रिलीज में नासा ने बताया है कि इस नए जन्मे द्वीप का आकार तेजी से बढ़ा। टोंगा जियोलॉजिकल सर्विसेज के रिसर्चर्स ने अनुमान लगाया था कि द्वीप का क्षेत्रफल 4,000 वर्ग मीटर (1 एकड़) और समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 10 मीटर (33 फीट) होगी। हालांकि 20 सितंबर तक इसका आकार 24,000 वर्ग मीटर (6 एकड़) तक पाया गया है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि नया द्वीप सेंट्रल टोंगा द्वीप समूह में होम रीफ सीमाउंट पर स्थित है। हालांकि यह इंसान के बसने के लिए नाकाफी है। इसकी वजह समझाते हुए नासा ने बताया है कि समुद्र के नीचे मौजूद ज्वालामुखियों के फटने से बनने वाली द्वीप अल्पकालिक होते हैं। यानी ये कुछ महीनों या साल तक मौजूद रह सकते हैं।
बताया गया है कि साल 2020 में लेटेकी ज्वालामुखी में 12 दिनों के विस्फोट की वजह से बना एक द्वीप दो महीने बाद बह गया, जबकि उसी ज्वालामुखी में विस्फोट से साल 1995 में बनाया गया एक द्वीप 25 साल तक वजूद में रहा था। टोंगा जियोलॉजिकल सर्विसेज के एक फेसबुक पोस्ट के अनुसार, सोमवार तक भी होम रीफ ज्वालामुखी में विस्फोट जारी था। अब यह देखा जाना बाकी है कि इस विस्फोट की वजह से जन्मा द्वीप कितने समय तक बना रह पाता है।