भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख, S Somanath ने गगनयान मिशन को एक वर्ष के लिए टालने की जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष में देश के एस्ट्रोनॉट मिशन से पहले बिना क्रू वाली कई टेस्ट फ्लाइट की जाएंगी। हाल ही में एयरोस्पेस इंडस्ट्री को लगे कुछ झटकों की वजह से गगनयान मिशन की तैयारी को लेकर ISRO पूरी सतर्कता बरत रहा है।
भारत गगनयान मिशन के अलावा समुद्रयान मिशन पर भी काम कर रहा है। यह भारत का पहला गहरा समुद्री मिशन होगा, जिसमें वैज्ञानिक भी गोता लगाएंगे। जिस पनडुब्बी का इस्तेमाल होगा, उसका नाम मत्स्य-6000 (Matsya-6000) रखा गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन के अहम मॉड्यूल को इसरो डेवलप कर रहा है। उसे बनाने में टाइटेनियम का इस्तेमाल हो रहा है। मॉड्यूल पानी में 6 हजार मीटर गहराई तक जा सकेगा।
चंद्रयान-3 मिशन की कामयाबी ने चंद्रयान-4 मिशन में तेजी ला दी है। इसरो ने मिशन को साल 2029 तक लॉन्च करने का लक्ष्य है। इसकी अनुमानित लागत 2,104.06 करोड़ रुपये है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन इसलिए खास होने वाला है क्योंकि यह चांद से 2 से 3 किलो सैंपल लेकर लौटेगा। ऐसा पहली बार होगा जब कोई भारतीय स्पेस किसी खगोलीय पिंड से सैंपल जुटाएगा।
यह दूसरी बार है कि जब विलियम्स ने ISS की कमान संभाली है। इससे पहले वह 2012 में भी एक मिशन की अगुवाई कर चुकी हैं। जून में विलियम्स और उनके साथी एस्ट्रोनॉट Butch Wilmore केवल आठ दिन के मिशन पर Boeing के Starliner स्पेसक्राफ्ट के जरिए ISS पर पहुंचे थे।हालांकि, स्टारलाइन में तकनीकी समस्या के कारण विलियम्स और विल्मोर की वापसी अगले वर्ष फरवरी तक टल गई है।
भारत का गगनयान मिशन इसी साल लॉन्च हो सकता है। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने शुक्रवार को कहा कि गगनयान मिशन इसी साल लॉन्च के लिए तैयार है। इसका मकसद कम से कम 3 भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना है। यात्री तीन दिनों तक स्पेस में रहेंगे और फिर समुद्र में एक तय लोकेशन पर लैंडिंग करेंगे। इसरो ने 3 मिशन प्लान किए हैं। पहले 2 मिशनों में रोबोट ‘व्योममित्र’ को भेजने की तैयारी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने नए मून मिशन को स्वीकृति दी है। इस मिशन में चंद्रमा पर एक भारतीय की लैंडिंग और धरती पर सुरक्षित वापसी के लिए जरूरी तकनीकी क्षमताओं का आकलन किया जाएगा। इस मिशन में चंद्रमा से सैम्प्ल एकत्र कर उसका विश्लेषण किया जाएगा। यह दुनिया का पहला ऐसा स्पेस मिशन होगा, जिसे दो भागों में लॉन्च किया जाएगा।
इन दोनों एस्ट्रोनॉट को लेकर गया Starliner स्पेसक्राफ्ट पिछले सप्ताह धरती पर विलियम्स और Wilmore के बिना वापस आ गया था। ये दोनों एस्ट्रोनॉट अगले वर्ष फरवरी में SpaceX की Crew-9 फ्लाइट से वापसी कर सकते हैं। सुनीता विलियम्स ने एक वीडियो प्रेस कॉन्फ्रेंस में ISS को एक 'खुशगवार स्थान' बताया।
गगनयान मिशन के लिए अप्रत्याशित तकनीकी समस्याओं के लिए तैयारी होना जरूरी है। इस मिशन को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि जिससे यह पहली कोशिश में ही सफलता हासिल कर सकेगा
Aditya L1 Mission : लैग्रेंज पॉइंट 1 की दूरी पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य की तरफ है। यही वह जगह है जहां तैनात रहकर आदित्य एल-1, सूर्य में होने वाली गतिविधियों को ट्रैक कर रहा है।
NASA के एडमिनिस्ट्रेटर Bill Nelson ने भारत के दौरे के दौरान बताया था कि अमेरिका और भारत की अगले वर्ष के अंत तक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक भारतीय एस्ट्रॉनॉट को भेजने की योजना है
भारत ने लगभग 15 वर्ष पहले स्पेस शटल का अपना वर्जन डिवेलप करने की योजना बनाई थी। इसके कुछ वर्ष बाद वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की एक टीम ने RLV बनाने का कार्य शुरू किया था