केंद्र सरकार ने सैटेलाइट स्पेक्ट्रम का ऑक्शन करने के बजाय इसे एलोकेट करने का फैसला किया है। टेलीकॉम मिनिस्टर Jyotiraditya Scindia का कहना है कि इससे कंज्यूमर्स को अधिक विकल्प मिलेंगे। उन्होंने Reliance Jio की इस आशंका को गलत बताया है कि इससे Elon Musk की Starlink को फायदा होगा।
देश में यह सर्विस शुरू करने के लिए
स्टारलिंक से सरकार से अनुमति मांगी थी। पिछले कुछ महीनों से सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस के लिए स्पेक्ट्रम को दिए जाने के प्रोसेस को लेकर स्टारलिंक का Mukesh Ambani की रिलायंस जियो के साथ विवाद चल रहा था। सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के लिए
रिलायंस जियो ने ऑक्शन करने की मांग रखी थी। हालांकि, सरकार ने इंटरनेशनल ट्रेंड के अनुसार इस स्पेक्ट्रम को एलोकेट करने का फैसला किया है। एनालिस्ट्स का कहना है कि इस स्पेक्ट्रम का ऑक्शन करने पर अधिक इनवेस्टमेंट करने की जरूरत होती और इससे इंटरनेशनल टेलीकॉम कंपनियां पीछे हट सकती थी। ई-कॉमर्स और टेक्नोलॉजी कंपनी Amazon की एक यूनिट ने भी देश में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस लॉन्च करने के लिए अप्रूवल मांगा था।
रिलायंस जियो इसके लिए प्रतिस्पर्धा की समान स्थितियां चाहती थी। कंपनी को चिंता है कि स्टारलिंक से उसे कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा और उसके ब्रॉडबैंड कस्टमर्स स्टारलिंक के पास जा सकते हैं। इस बारे में सिंधिया ने कहा, "टेलीकॉम मिनिस्टर के तौर पर मेरा कार्य यह सुनिश्चित करना है कि कंज्यूमर्स के पास अधिक विकल्प उपलब्ध हों।" रिलायंस जियो की आशंकाओं के बारे में पूछने पर, सिंधिया ने किसी कंपनी का नाम लिए बिना कहा, "टेक्नोलॉजी स्थिर नहीं रहती। कंपनियों को बदलाव करने की जरूरत होती है।"
सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को सिक्योरिटी क्लीयरेंस लेने के साथ ही कई मिनिस्ट्रीज से अप्रूवल लेने की जरूरत होगी। रिलायंस जियो ने दूरदराज के चार क्षेत्रों को अपनी JioSpaceFiber सर्विस से कनेक्ट किया है। ये क्षेत्र गुजरात में गिर, छत्तीसगढ़ में कोरबा, ओडिशा में नबरंगपुर और असम में जोरहाट, ONGC हैं। विदेशी इंटरनेट सर्विस कंपनियों ने इस स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस देने की डिमांड की थी। इन कंपनियों का मानना है कि अगर भारत में इसके लिए नीलामी होती है तो अन्य देशों में भी इस प्रोसेस को लागू किया जा सकता है। इससे इन कंपनियों को कॉस्ट में बढ़ोतरी का सामना करना पड़ सकता है।