हमारे सौरमंडल में पृथ्वी इकलौता ग्रह है, जहां जीवन है। बीते कई वर्षों से वैज्ञानिक पृथ्वी के अलावा दूसरे ग्रहों पर जीवन के संकेत तलाश रहे हैं और उन्हें इसके सबसे करीब दिखाई देते हैं मंगल और शुक्र ग्रह। शुक्र ग्रह के बारे में एक और दिलचस्प बात है। वैज्ञानिकों का कहना है कि शुक्र ग्रह एक समय में गीला हुआ करता था, लेकिन किन्हीं वजहों से वह सूख गया। क्या भविष्य में पृथ्वी के साथ भी ऐसा ही हो सकता है? यह जानने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) 9 मई को एन्डुरन्स (Endurance) नाम से एक नया मिशन शुरू करने जा रही है।
आखिर इस मिशन की जरूरत क्यों पड़ी। नासा के अनुसार, हमारे ग्रह यानी पृथ्वी में एक ग्लोबल इलेक्ट्रिक क्षमता है। यह एक अहम कॉम्पोनेंट है, क्योंकि यह हमारे ग्रह को रहने लायक बनाती है। नासा इसी की खोज मंगल या शुक्र ग्रह पर करना चाहती है। वह जानना चहती है कि उन ग्रहों पर जीवन क्यों संभव नहीं है। ऐसा क्या है कि जीवन सिर्फ पृथ्वी पर ही संभव है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर के ग्लिन कोलिन्सन ने कहा कि सभी विज्ञानों में सबसे मौलिक सवाल यही है कि हम यहां क्यों हैं।
नासा के
मुताबिक, एन्डुरन्स मिशन के तहत जिस रॉकेट को लॉन्च किया जाएगा, वह ग्लोबल इलेक्ट्रिक क्षमता को मापने की कोशिश करेगा। नासा का कहना है कि यह इलेक्ट्रिक क्षमता इतनी कमजोर है कि इसे मापना भी मुश्किल होता है, लेकिन हमें इस सवाल का जवाब ढूंढना है कि जीवन सिर्फ पृथ्वी पर ही संभव क्यों है। रॉकेट को नॉर्वे से लॉन्च किया जाना है, जो दुनिया की सबसे उत्तरी लॉन्च रेंज है।
नासा ने बताया है कि एन्डुरन्स रॉकेट, पृथ्वी के वायुमंडल से निकलने वाले इलेक्ट्रॉनों को मापेगा। पृथ्वी की इलेक्ट्रिक क्षमता को मापने की अब तक कई कोशिशें हुई हैं, लेकिन कामयाबी उतनी नहीं मिली। अभी तक सिर्फ अनुमान ही लगाया जाता है। मिशन सफल होने पर वैज्ञानिक यह बता पाएंगे कि पृथ्वी पर पानी क्यों है और शुक्र ग्रह पर क्यों नहीं।
एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि शुक्र ग्रह आखिर क्यों सूख गया। इसका जवाब नासा के एक पुराने वीडियो से मिलता है, जिसे साल 2016 में शेयर किया गया था। इसमें बताया गया था कि शुक्र के सूखने की वजह वह ग्लोबल इलेक्ट्रिक क्षमता हो सकती है। नासा ने बताया था कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा लॉन्च किए गए वीनस एक्सप्रेस अंतरिक्ष यान ने 2016 में एक सुराग खोजा था। पता चला था कि शुक्र ग्रह के चारों ओर 10 वोल्ट की इलेक्ट्रिक क्षमता है। यह पृथ्वी की इलेक्ट्रिक क्षमता से 25 गुना ज्यादा है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस हाई इलेक्ट्रिक क्षमता ने शुक्र को विशालकाय वैक्यूम क्लीनर जैसा बना दिया होगा। जिसके असर से पानी में मौजूद चीजें उससे अलग हो गईं और सूर्य की रोशनी के कारण अंतरिक्ष में फैल गईं। वहीं पानी धीरे-धीरे सूख गया होगा।