अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) हमें ना सिर्फ स्पेस के रहस्यों से रू-ब-रू करवाती है, बल्कि पृथ्वी में होने वाली घटनाओं की भी साक्षी बनाती है। वीडियो और इमेजेस के जरिए हम दुनिया को नए नजरिए से देख पाते हैं। इसी क्रम में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर ने प्रशांत महासागर में पानी के नीचे हुए ज्वालामुखी विस्फोट की तस्वीर ट्वीट की है। बात यहीं खत्म नहीं होती। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने इस घटना को शार्ककैनो (Sharkcano) कहा है। इसकी वजह यह है कि जिस जगह ज्वालामुखी में यह विस्फोट हुआ है, वहां शार्क की दो प्रजातियां रहती हैं यानी यह जगह उनका निवास है। इस तस्वीर को लैंडसेट-9 सैटेलाइट ने क्लिक किया है, जो बताती है कि मौजूदा जगह पर समुद्र में काफी हलचल है।
नासा ने बताया है कि सोलोमन द्वीप में कवाची ज्वालामुखी शार्क की दो प्रजातियों का घर है। एजेंसी के मुताबिक, यह इलाका प्रशांत क्षेत्र में सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। इन्हीं में से एक ज्वालामुखी को जो पानी के अंदर है, लैंडसैट-9 ने फटते हुए देखा है। नासा ने ट्विटर पर इससे जुड़ीं इमेजेस शेयर की हैं और लिखा है, क्या आपने शार्कनाडो के बारे में सुना है।
कवाची ज्वालामुखी ने पिछले साल अक्टूबर में विस्फोट करना शुरू कर दिया। सैटेलाइट इमेजेस से पता चलता है कि इस ज्वालामुखी की वजह से इस साल अप्रैल और मई में पानी के रंग में बदलाव दिखा। नासा की अर्थ ऑब्जर्वेटरी ने बताया है कि इस ज्वालामुखी का टॉप पानी में लगभग 65 फीट या 20 मीटर नीचे है। पिछले रिकॉर्ड्स की बात करें, तो इस ज्वालामुखी विस्फोट से पहले भी साल 2007 और 2014 में कवाची में बड़े विस्फोट देखे गए थे। इस ज्वालामुखी में यह तीसरा विस्फोट है और आसपास के इलाके में रहने वाले लोग इसका जायजा लेने आते रहते हैं।
पानी में ज्वालामुखी विस्फोट की बात हो रही है तो हमें दक्षिण प्रशांत महासागर में स्थित देश टोंगा (Tonga) में इस साल की शुरुआत में हुए एक ज्वालामुखी (volcano) विस्फोट के बारे में भी जानना चाहिए। इस साल की शुरुआत में यह ज्वालामुखी समुद्र के नीचे फटा था, जिसने बड़े स्तर पर दबाव वाली लहरें या शॉक वेव्स पैदा कीं, जिनमें से कुछ पृथ्वी के वायुमंडल से होकर गुजरीं।
इन शॉक वेव्स की वजह से 10 हजार किलोमीटर दूर अमेरिका के राज्य अलास्का में भी लोगों ने पानी में शोर और उछाल आने की जानकारी दी। अब दो नई स्टडीज से पता चला है कि यह पिछले 140 साल में सबसे बड़ा विस्फोट है। टोंगा की घटना की तुलना 1883 में इंडोनेशिया में हुए क्राकाटाऊ विस्फोट से की गई है। उस उस भयावह घटना में 30 हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे।