पृथ्वी के अलावा अगर कहीं जीवन मुमकिन हो सकता है, तो उसमें मंगल ग्रह सबसे आगे खड़ा नजर आता है। वर्षों से वैज्ञानिक इसे एक्सप्लोर कर रहे हैं। मंगल पर जीवन की संभावनाएं टटोल रहे साइंटिस्ट भविष्य में इस ग्रह पर कई मिशन लॉन्च करने की उम्मीद जताते हैं। इनमें कुछ दीर्घकालिक मिशन भी हो सकते हैं, जिनमें अंतरिक्ष यात्रियों की टीम लंबे वक्त तक ‘डेरा' जमाएगी। मिशन की एक चुनौती अंतरिक्ष यात्रियों के लिए भोजन की व्यवस्था करना होगा। उन्हें लंबे वक्त तक पैक्ड भोजन पर निर्भर नहीं रखा जा सकता, इसलिए वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर भोजन उगाने के रास्ते तलाश रहे हैं। इस मिशन में लाल ग्रह की जलवायु समस्या बन रही है। इस ग्रह की मिट्टी और पानी फसलों के लिए बेहद कठोर हैं। अब एक हाईस्कूल स्टूडेंट की स्टडी में पता चला है कि अल्फाल्फा (alfalfa) के पौधे और प्रकाश संश्लेषक (photosynthetic) बैक्टीरिया मंगल ग्रह की मिट्टी और पानी को खेती के लायक बनाने में मदद कर सकते हैं।
स्पेसडॉटकॉम की रिपोर्ट के अनुसार, मंगल ग्रह की मिट्टी में जैविक पोषक तत्वों की कमी है, जिससे वैज्ञानिकों को लाल ग्रह पर फसल उगाने में चुनौती आ रही है। अब एक नई
स्टडी के तहत रिसर्चर्स ने मंगल ग्रह की मिट्टी और पानी का अधिकतम लाभ उठाने के तरीकों की जांच की है। क्योंकि लाल ग्रह की मिट्टी ज्यादातर ज्वालामुखी रॉक से उखड़ी है, इसलिए वैज्ञानिकों ने भी अपने प्रयोग में ज्वालामुखी चट्टानों का इस्तेमाल किया।
इस रिसर्च को पूजा काशीविश्वनाथन ने लीड किया। उन्होंने यह प्रोजेक्ट तब शुरू किया था, जब वह अमेरिका के एक स्कूल में पढ़ाई कर रही थीं। रिसर्चर्स ने पाया कि अल्फाल्फा का पौधा जिसे आमतौर पर मवेशियों के लिए घास के रूप में काटा और इस्तेमाल किया जाता है, वह कम पोषक तत्व वाली मिट्टी में भी अच्छी तरह से विकसित हुआ। यही नहीं, अल्फाल्फा का पौधा मिट्टी के लिए उवर्रक का काम भी करता है।
रिसर्चर्स बिना किसी पोषक तत्व की मदद से मंगल ग्रह जैसी मिट्टी पर अल्फाल्फा के पौधे को विकसित करने में सक्षम थे। यह बताता है कि इस पौधे का इस्तेमाल मंगल ग्रह की मिट्टी को फर्टिलाइज करने में किया जा सकता है। इसके बाद वहां अन्य पौधे भी उगाए जा सकते हैं। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि सिंटिकोकोकस एसपी नाम का एक प्रकाश संश्लेषक और समुद्री जीवाणु स्ट्रेन मंगल ग्रह पर मौजूद पानी से नमक को हटाने में प्रभावी है। पूजा काशीविश्वनाथन कहती हैं उन्हें उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष भविष्य में नासा के मंगल मिशन को सपोर्ट कर सकते हैं।
ध्यान देने वाली बात यह है कि रिसर्च के दौरान जो मिट्टी और पानी इस्तेमाल किया गया, वह मंगल ग्रह की एक मिमिक थी। असली चुनौती तब आएगी, जब मंगल ग्रह से लाए जाने वाले सैंपल्स में पौधों को उगाया जाएगा। फिर भी यह रिसर्च भविष्य के लिए बड़ी उम्मीद बन सकती है।