ब्लैक होल के आसपास कुछ ऐसा है, जो अंतरिक्ष में दिलचस्पी रखने वालों को उत्साहित करता है। ब्लैक के रहस्य और इसके पीछे छिपी फिजिक्स ने वैज्ञानिकों को वर्षों से सोचने पर मजबूर किया है। ब्लैक होल को ब्रह्मांड का इंजन भी कहा जाता है, क्योंकि अक्सर ये एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लिआई को ऊर्जा प्रदान करते हैं। अक्सर ब्लैक होल के मैग्नेटिक फील्ड के बारे में चर्चा की जाती है, लेकिन इनका अपना कोई मैग्नेटिक फील्ड नहीं होता। एक डिस्क के रूप में ब्लैक होल को घेरने वाला प्लाज्मा ही इनके चारों ओर एक चुंबकीय क्षेत्र बनाता है। वैज्ञानिकों ने 239 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर स्थित आकाशगंगा 1ES 1927+654 पर अपनी जांच करते हुए इसके विशाल ब्लैक होल के चारों ओर की चमक में अचानक बदलाव देखा है।
इस चमक को ब्लैक होल के चुंबकीय क्षेत्र में अचानक हुए बदलाव की वजह माना जा रहा है। तारों के बारे में हमेशा बना जाता है कि वह मैग्नेटिक रिवर्सल पैदा करते हैं, वहीं ब्लैक होल के मामले में ऐसा नहीं माना जाता है। हमारा सूर्य हर 11 साल में अपने चुंबकीय क्षेत्र को रिवर्स कर देता है, लेकिन इसके मुकाबले किसी ब्लैक होल को अधिक स्थिर माना जाता है। लेकिन ब्लैक होल के मैग्नेटिक रिवर्सल को लेकर आई नई जानकारी ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है।
साइंस अलर्ट की एक
रिपोर्ट में कहा गया है कि वैज्ञानिकों ने साल 2018 में एक ऑटोमेटेड स्काई सर्वे के जरिए इस आकाशगंगा के बारे में जाना था। वैज्ञानिकों ने देखा कि आकाशगंगा में 100 गुना चमक थी। आंकड़ों से पता चला है कि आकाशगंगा साल 2017 के आखिर तक चमकने लगी थी।
शुरुआत में वैज्ञानिकों को लगता था कि आकाशगंगा में यह बढ़ी हुई चमक उसके ब्लैक होल से गुजरने वाले तारे के कारण है। हालांकि ऐसा नहीं था। स्टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने एक्स-रे में अचानक गिरावट का पता लगाया। यह बदलाव आकाशगंगा के चुंबकीय क्षेत्र में अचानक बदलाव की ओर इशारा करता है।
रिसर्चर्स को लगता है कि जैसे ही ब्लैक होल की डिस्क, मैग्नेटिक रिवर्सल के फेज से गुजरती है, डिस्क के बाहरी किनारों पर चुंबकीय क्षेत्र कमजोर हो जाता है। रिवर्सल पूरा होने के बाद, डिस्क अपनी पुरानी स्थिति में वापस आ जाती है।