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शार्क मछली से भी 100 गुना ज्यादा खतरनाक हो चुका है आज का इंसान! वैज्ञानिकों ने ऐसा क्यों कहा? जानें

वैज्ञानिकों ने इस समय को एंथ्रोपॉसीन (Anthropocene) कहा है। इसे वो समय कहा जाता है जब धरती के मौसम और पर्यावरण पर इंसान का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है।

शार्क मछली से भी 100 गुना ज्यादा खतरनाक हो चुका है आज का इंसान! वैज्ञानिकों ने ऐसा क्यों कहा? जानें

इंसानों को शार्क मछली से भी 100 गुना ज्यादा खतरनाक माना गया है।

ख़ास बातें
  • जंगली जानवरों की आधी आबादी अब विलुप्त होने के खतरे में।
  • 14,663 प्रजाति ऐसी हैं जिनका व्यापार मनुष्य करता है।
  • वैज्ञानिकों ने इस समय को एंथ्रोपॉसीन (Anthropocene) कहा है।
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आपने एक कहावत तो सुनी होगी कि धरती पर कोई सबसे खतरनाक प्राणी है तो वह है इन्सान! अब तक ये बात सिर्फ एक कहावत की तरह कही गई थी लेकिन अब इसके वैज्ञानिक सबूत भी आ गए हैं! जी हां, वैज्ञानिकों ने कहा है कि इन्सान खूंखार शार्क मछली से भी 100 गुना ज्यादा घातक है। ऐसा हम नहीं, यूनाइटेड किंगडम (UK) में शोधकर्ता कह रहे हैं। आखिर क्या है मामला, आइए आपको बताते हैं। 

इंसानों को शार्क मछली से भी 100 गुना ज्यादा खतरनाक माना गया है। UK में वैज्ञानिकों ने यह बात कही है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, जंगली जानवरों की आधी आबादी अब विलुप्त होने के खतरे के दायरे में आ चुकी है क्योंकि इंसान इन जंगली जानवरों का अपने इस्तेमाल के लिए दोहन कर रहा है। इनमें से एक तिहाई को या तो वह अपने खाने के लिए मार रहा है, या फिर दवाइयां बनाने में इनका इस्तेमाल कर रहा है, या फिर इन्हें पालतू बनाने में इस्तेमाल कर रहा है। 

बात जब पेट भरने की आती है तो धरती पर मौजूद सभी जानवरों में से इंसान ही ऐसा है जिसे सबसे ज्यादा और अलग-अलग तरह का खाना चाहिए। उसकी जरूरतें अन्य जानवरों की तुलना में सबसे ज्यादा हैं। अब शोधकर्ताओँ ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि आधुनिक मनुष्य 300 गुना ज्यादा भक्षक हो गया है। Oxfordshire के वॉलिंगफ़ोर्ड में यूके सेंटर फ़ॉर इकोलॉजी एंड हाइड्रोलॉजी के डॉ. रॉब कुक ने बताया कि इंसानों का अन्य जानवरों को इस्तेमाल करने का जो साइज और स्केल सामने आया है, वह बहुत ज्यादा चौंकाने वाला है। शोध को Communications Biology में प्रकाशित किया गया है। 

यह बात सिर्फ किसी अनुमान के आधार पर नहीं कही गई है। शोधकर्ताओं ने 50 हजार अलग अलग तरह के जंगली जीवों, जिनमें जानवर, पक्षी, रेंगने वाले जीव, धरती और पानी दोनों में रहने वाले जीव और मछलियां शामिल हैं, के डेटा को स्टडी किया है। जो कि अलग अलग कामों में इंसानों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं। इनमें से 14,663 प्रजाति ऐसी हैं जिनका व्यापार मनुष्य करता है। यह एक तिहाई संख्या है। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से 39 प्रतिशत विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। 

वैज्ञानिकों ने इस समय को एंथ्रोपॉसीन (Anthropocene) कहा है। इसे वो समय कहा जाता है जब धरती के मौसम और पर्यावरण पर इंसान का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ना शुरू हो गया है। इंसान धरती पर रहने वाले अधिकतर जानवरों को पालतू बना रहा है जिससे कि प्राकृतिक दुनिया नया रूप ले रही है। वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर इंसान ऐसे ही जंगली जानवरों का दोहन अपने इस्तेमाल के लिए करता रहेगा तो जैव विविधता और पर्यावरण के लिए घातक परिणाम सामने आ सकते हैं। 
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हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

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