हिंद महासागर में एक बायोडायवर्सिटी सर्वे के दौरान समुद्र में करीब 5.4 किलोमीटर नीचे ‘कब्रिस्तान' मिला है। यह शार्क मछलियों का ‘कब्रिस्तान' है, जिसमें मेगालोडन (megalodon) के एक प्राचीन पूर्वज के भी जीवाश्म दांत मिले हैं। मेगालोडन, समुद्र में लाखों साल पहले घूमने वाली व्हेल से भी बड़ी एक शार्क थी, जो सिर्फ 5 बाइट में व्हेल के आकार के क्रिएचर को खा सकती थी। CSIRO रिसर्च वेसल की टीम ने समुद्र से मेगालोडन के पूर्वज के सैंपल भी इकट्ठा किए हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, हिंद महासागर में कोकोस (कीलिंग) द्वीपों और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के गस्कॉयने समुद्री पार्क के आसपास हुए सर्वे के दौरान अहम खोजें हुई हैं। साइंस्टिट करीब 5.4 किलोमीटर गहराई पर एक आखिरी सर्वे कर रहे थे, जब उन्होंने ‘कब्रिस्तान' देखा। वहां शार्क मछलियों के 750 जीवाश्म दांत मिले।
WA म्यूजियम के क्यूरेटर ग्लेन मूर भी इस यात्रा में थे। उन्होंने बताया कि जो दांत मिले हैं, वह आधुनिक और प्राचीन दोनों तरह की शार्कों से जुड़े हुए लगते हैं। इनमें से कुछ दांत माको और वाइट शार्क के हैं, जिन्हें मॉडर्न शार्क कहा जाता है, जबकि मेगालोडन नाम की विशाल शार्क के पूर्वज के दांत भी यहां मिले हैं। अनुमान है कि यह शार्क करीब 35 लाख साल पहले विलुप्त हो गई थी।
मेगालोडन को अब तक की सबसे पावरफुल शिकारी शार्क माना जाता है। मेगालोडन के जबड़े बहुत बड़े थे, जिस वजह से वह आसानी से बाकी जीवों को खा जाती थी। मेगालोडन एक शानदार तैराक थी। इसकी गति आज की शार्क की तुलना में तेज थी और यह आसानी से कई महासागरों में माइग्रेट हो सकती थी।
बहरहाल, वैज्ञानिकों को उनकी खोज पर विश्वास नहीं हो रहा। समुद्र में इतनी नीचे जाकर यह हासिल करना किसी उपलब्धि से कम नहीं है। वैज्ञानिक इसलिए भी उत्साहित हैं कि इस खोज में उन्हें शार्क की एक नई प्रजाति का भी पता चला है। मेगालोडन की इस पूर्वज को अभी कोई नाम नहीं दिया गया है।
वैज्ञानिक जिस बायोडायवर्सिटी सर्वे पर निकले थे, उसमें भी उन्हें कामयाबी मिली है। उन्होंने समुद्री जीवों की कई नई प्रजातियों का पता लगाया है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि यह सर्वे सिर्फ नई प्रजातियों तक सीमित नहीं है। इसके जरिए उन्होंने समुद्र के परिस्थितिकी तंत्र को नजदीक से समझने की कोशिश की। समुद्र के कुछ इलाकों में यह सर्वे दिसंबर के मध्य तक चलता रहेगा।