ब्लैक होल (Black holes) के बारे में माना जाता है कि ये हमारी आकाशगंगा समेत ज्यादातर आकाशगंगाओं के केंद्र में मौजूद रहते हैं और उनके कामकाज में भूमिका निभाते हैं। अब रिसर्चर्स के एक ग्रुप ने बौनी (dwarf) आकाशगंगाओं में बड़े पैमाने पर ब्लैक होल छुपे होने का पता लगाया है। आमतौर पर ब्लैक होल का पता तब चलता है, जब वो अपने चारों ओर मौजूद गैस को खाकर बहुत तेजी से बढ़ते हैं और चमकने लगते हैं। रिसर्चर्स का मानना है कि ये ब्लैक होल, आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद विशालकाय ब्लैक होल के बारे में अहम जानकारी दे सकते हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना (UNC)-चैपल हिल डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स एंड एस्ट्रोनॉमी के खगोलविदों द्वारा की गई
रिसर्च से हमारी आकाशगंगा के ब्लैक होल पर जानकारी मिलने की उम्मीद है।
माना जाता है कि हमारी ‘मिल्की वे' का निर्माण कई छोटी बौनी आकाशगंगाओं के विलय से हुआ है। लेकिन क्या सभी बौनी आकाशगंगाओं में एक बड़ा ब्लैक होल होता है, इसके बारे में अभी तक ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसीलिए कई वैज्ञानिक यह जानने में जुटे हैं कि ब्लैक होल और आकाशगंगा एकसाथ कैसे डेवलप होते हैं।
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में इस सप्ताह पब्लिश हुई स्टडी इस समझ को पूरा करने में मदद कर सकती है। इसमें लिखा गया है कि बौनी आकाशगंगाओं में बड़े पैमाने पर ब्लैक होल का होना आम है। हालांकि इनका पता लगाना मुश्किल है, क्योंकि उन ब्लैक होल से निकलने वाला रेडिएशन इसमें बड़ी बाधा बनता है। स्टडी की प्रमुख लेखक और यूएनसी-चैपल हिल की पीएचडी स्टूडेंट मुग्धा पोलिमेरा ने
कहा कि इस रिजल्ट ने उन्हें चौंका दिया है, क्योंकि ये ब्लैक होल अबतक छुपे हुए थे।
स्टडी की को-राइटर प्रोफेसर शीला कन्नप्पन ने कहा कि हम ब्लैक होल को केवल तभी देखते हैं, जब वो रोशन होते हैं। इससे हमें संकेत मिलता है कि हम कितने सारे ब्लैक होल नहीं देख पा रहे हैं। कन्नप्पन ने कहा कि जिन ब्लैक होल को खोजा गया है, उनके फंडामेंटल कॉम्पोनेंट्स हमारी मिल्की वे के विशालकाय ब्लैक होल जैसे ही हैं। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस खोज के जरिए वह हमारी आकाशगंगा की उत्पत्ति के बारे में समझ सकेंगे। कई और रिसर्च में भी इस शोध का फायदा मिलने की उम्मीद है।